सार

नवग्रहों में मंगल का विशेष स्थान है। धर्म ग्रंथों में इस ग्रह को देवताओं का सेनापति कहा गया है। जिस वयक्ति की कुंडली में मंगल दोष होता है, उसे अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्‌ट के अनुसार, कुंडली में जब कुछ विशेष स्थान पर मंगल होता है तो मांगलिक दोष बनता है। इसके कारण विवाह में कुछ बातों का ध्यान रखा जाता है। जानिए कुंडली में कौन-से स्थान पर मंगल हो तो उसका क्या फल मिलता है-

1. आमतौर पर मंगल अपनी दशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा या गोचर में अशभ फल देता है, लेकिन मंगल 28वें वर्ष में अपना शुभ फल प्रदान करता है। मंगल का असर जीवन भर बना रहता है।
2. यदि सातवें भाव में मंगल है तो व्यक्ति जीवन साथी या सहयोगी के प्रति कठोर रहता है।
3. आठवें और बारहवें भाव में मंगल आयु और शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करता है।
4. यदि मंगल चौथे भाव में हो तो व्यक्ति को श्रेष्ठ पारिवारिक सुख नहीं मिल पाता।
5. यदि लग्न यानी प्रथम भाव में मंगल हो तो व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक होता है, लेकिन ये लोग बहुत गुस्से वाले होते हैं।