सार
हिंदी पंचांग के अनुसार एक माह में दो पक्ष होते हैं। एक कृष्ण पक्ष है और दूसरा शुक्ल पक्ष। दोनों पक्षों में 15-15 तिथियां होती हैं।
उज्जैन. पूर्णिमा से अमावस्या तक सभी तिथियों के अलग-अलग कारक देवता हैं। इन कारक देवताओं की पूजा इनकी तिथियों पर करने से भाग्य का साथ मिल सकता है। गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित संक्षिप्त भविष्य पुराण अंक के ब्राह्म पर्व के अनुसार जानिए किस तिथि पर किसकी पूजा करनी चाहिए…
1. प्रतिपदा यानी पहली तिथि पर अग्नि देव की पूजा करें।
2. द्वितिया तिथि पर ब्रह्माजी की पूजा करनी चाहिए।
3. तृतीया तिथि पर धन के स्वामी कुबेर देव की पूजा करनी चाहिए।
4. चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेशजी की पूजा करें।
5. पंचमी पर नाग देवता की पूजा करनी चाहिए।
6. षष्ठी तिथि पर भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
7. सप्तमी पर भगवान सूर्यदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए।
8. अष्टमी पर शिवजी की पूजा करें।
9. नवमी तिथि पर मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए।
10. दशमी पर भगवान यमराज की पूजा करें।
11. एकादशी पर विश्वेदेवों की पूजा करनी चाहिए।
12. द्वादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है।
13. त्रयोदशी पर कामदेव की पूजा करनी चाहिए।
14. चतुर्दशी तिथि पर शिवजी की पूजा करें।
15. पूर्णिमा तिथि पर चंद्र देवी की पूजा करनी चाहिए।
16. अमावस्या तिथि पर पितर देवता के निमित्त पूजा करें।