सार

इस बार 5 जून, शुक्रवार को मांद्य चंद्रग्रहण होगा। मांद्य चंद्रग्रहण होने से इस ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। ग्रहण काल में पूजा-पाठ आदि कर्म किए जा सकेंगे। 

उज्जैन. माद्य ग्रहण में चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं दिखाई देगा, सिर्फ चंद्र के आगे धूल की एक परत-सी छा जाएगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, चंद्रग्रहण 5 जून की रात 11.15 से शुरू होगा और समापन 6 जून की सुबह 2.34 पर होगा। एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के लोग इस ग्रहण को देख सकेंगे। भारत में न दिखाई देने के कारण यहां इसका कोई प्रभाव नहीं माना जाएगा।

मांद्य चंद्रग्रहण किसे कहते हैं?
मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसलिए इस चंद्रग्रहण को लेकर सूतक नहीं रहेगा। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन, चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रहण ग्रस्त होता दिखाई नहीं देगा। इस ग्रहण में चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर छाया यानी मटमैली छाया जैसा, हल्की सी धूल-धूल वाली छाया। इस प्रभाव को भी बहुत कम ही लोग समझ पाएंगे। ये ग्रहण विशेष उपकरणों से आसानी से समझा जा सकेगा।

चंद्र पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी
इस ग्रहण में चंद्रमा पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी। राहु एक छाया ग्रह है। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण काल में चंद्र पर छाया के रूप में राहु दिखता है, लेकिन इस ग्रहण में छाया नहीं बनेगी। जब छाया ही नहीं पड़ेगी तो राहु के ग्रसने वाली बात भी नहीं होगी। यह ग्रहण केवल उपच्छाया मात्र है।

क्यों होता है मांद्य चंद्र ग्रहण?
जब चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक सीधी लाइन में आ जाते हैं। तब पृथ्वी की वजह से चंद्र पर सूर्य की रोशनी सीधे नहीं पहुंच पाती है और पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्र पर पड़ती है। इस स्थिति को ही चंद्रग्रहण कहते हैं। जबकि मांद्य चंद्र ग्रहण में चंद्र पृथ्वी और सूर्य एक ऐसी लाइन में रहते हैं, जहां से पृथ्वी की हल्की सी छाया चंद्र पर पड़ती है। ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं। इस वजह से मांद्य चंद्रग्रहण की स्थिति बनती है।

नहीं लगेगा सूतक, ना होगा कोई असर
इस चंद्रग्रहण को लेकर किसी तरह से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। मांद्य चंद्रग्रहण के कारण इसमें सूतक काल लागू नहीं होगा। न ही सूतक का प्रारंभ और न ही सूतक का अंत। ज्योतिष के प्रसिद्ध निर्णयसागर पंचांग के अनुसार इस ग्रहण में किसी भी प्रकार का यम, नियम, सूतक आदि मान्य नहीं है।