सार
जब भी किसी व्यक्ति के कोई वस्तु चोरी होती है तो उसके मन में ये प्रश्न जरूर उठता है कि चोरी गई चीज दोबारा उसे मिलेगी या नहीं। इस प्रश्न का उत्तर ज्योतिष शास्त्र से पता लगाया जा सकता है।
उज्जैन. ज्योतिष के अनुसार अलग-अलग नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुओं के मिलने या न मिलने का अलग-अलग परिणाम होता है। जिस समय हमें अपनी चोरी गई वस्तु का पता लगे उस समय के नक्षत्र या अंतिम बार आपने उस वस्तु को कब देखा था, उस समय के नक्षत्र के अनुसार चोरी गई वस्तु का विचार किया जाता है। आगे जानिए किस नक्षत्र में चोरी गई वस्तु वापस मिल जाती है किस नक्षत्र में चोरी गई वस्तु नहीं मिलती…
1. रोहिणी, पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा और रेवती को ज्योतिष में अंध नक्षत्र माना गया है। इन नक्षत्रों में चोरी होने वाली वस्तु पूर्व दिशा में जाती है और जल्दी मिल जाती है। इन नक्षत्रों में यदि कोई वस्तु चोरी हुई है तो वह अधिक दूर नहीं जाती है उसे आसपास ही तलाशना चाहिए।
2. मृगशिरा, अश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा, शतभिषा, अश्विनी ये मंद नक्षत्र कहे गए हैं। इन नक्षत्रों में यदि कोई वस्तु चोरी होती है तो वह तीन दिन में मिलने की संभावना रहती है। इन नक्षत्रों में गई वस्तु दक्षिण दिशा में प्राप्त होती है। साथ ही वह वस्तु रसोई, अग्नि या जल के स्थान पर छुपाई होती है।
3. आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजीत, पूर्वाभाद्रपद, भरणी ये मध्य लोचन नक्षत्र होते हैं। इन नक्षत्रों में चोरी गई वस्तुएं पश्चिम दिशा में मिल जाती हैं। वस्तु के संबंध में जानकारी 64 दिनों के भीतर मिलने की संभावना रहती है। यदि 64 दिनों में न मिले तो फिर कभी नहीं मिलती। इस स्थिति में वस्तु के अत्यधिक दूर होने की जानकारी भी मिल जाती है, लेकिन मिलने में संशय रहता है।
4. पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद, कृतिका को सुलोचन नक्षत्र कहा गया है। इनमें गई वस्तु कभी दोबारा नहीं मिलती। वस्तु उत्तर दिशा में जाती है, लेकिन पता नहीं लगा पाता कि कहां रखी गई है या आप कहां रखकर भूल गए हैं।