सार

Pushya Nakshatra 2022: ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों के बारे में बताया गया है। इनमें से पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहते हैं। ये नक्षत्र खरीदी व अन्य मांगलिक कामों के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। इस बार 18 अक्टूबर, मंगलवार को रहेगा। 
 

उज्जैन. दीपावली से पहले खरीदी के कई शुभ मुहूर्त आते हैं। ऐसा ही एक शुभ योग है पुष्य नक्षत्र का (Pushya Nakshatra 2022)। इस बार 18 अक्टूबर, मंगलवार को पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इसे नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस नक्षत्र में की गई खरीदी बहुत लंबे समय तक शुभ फल देती है। इस नक्षत्र में ज्वैलरी, इलेक्ट्रानिक आइटम, घर सजाने का सामान आदि चीजें खरीदी जा सकती हैं। आगे जानिए इस बार कब से कब तक रहेगा पुष्य नक्षत्र, कौन-कौन से शुभ योग रहेंगे इस दिन आदि जरूर बातें…

कब से कब तक रहेगा पुष्य नक्षत्र? (pushya nakshatra date 2022)
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस बार पुष्य नक्षत्र 18 अक्टूबर, मंगलवार की सुबह 05:12 से 19 अक्टूबर, बुधवार की सुबह 08:02 तक रहेगा। यानी 18 अक्टूबर को पूरे दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। ऐसा संयोग बहुत कम बार बनता है जब पुष्य नक्षत्र पूरे दिन रहे। मंगलवार को पुष्य नक्षत्र होने से वर्धमान नाम का शुभ योग इस दिन रहेगा। साथ ही सिद्ध और साध्य नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। 

ये हैं खरीदी के शुभ मुहूर्त (Pushya Nakshatra 2022 Shubh Muhurta)
- सुबह 08:18 से 09:15 तक
- सुबह 09:15 से 10:12 तक
- दोपहर 12:06 से 01:03 तक
- दोपहर 03:54 से शाम 04:52 तक
- शाम 06:52 से रात 07:55 तक
- रात 08:57 से 10:00 तक

पुष्य नक्षत्र को क्यों मानते हैं इतना शुभ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुष्य नक्षत्र के देवता देवगुरु बृहस्पति हैं जो मांगलिक कार्यों के कारक हैं। यानी कोई भी शुभ काम बिना देवगुरु बृहस्पति के संभव नहीं है। साथ ही इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि शनि हैं जिसे स्थावर भी कहते हैं जिसका अर्थ होता है स्थिरता। इसलिए माना जाता है कि इस नक्षत्र में किए गए शुभ कार्य और खरीदी लंबे समय तक स्थिर रहती है। दीपावली से पहले लोग खरीदी के लिए शुभ मुहूर्त देखते हैं, ऐसे ही दीपावली के 6 दिन पहले आने वाले ये नक्षत्र बहुत ही शुभ माना गया है।

आकाश में ऐसा दिखाई देता है पुष्य नक्षत्र?
ज्योतिष ग्रंथों में प्रत्येक नक्षत्र के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। उसके अनुसार, पुष्य नक्षत्र कोई एक तारा नहीं बल्कि कई सारे तारों का एक समूह है। इसके तीर की नोक कई बारीक तारा समूहों के गुच्छ (पुंज) के रूप में दिखाई देती है। आकाश में इसका गणितीय विस्तार 3 राशि 3 अंश 20 कला से 3 राशि 16 अंश 40 कला तक है। यह नक्षत्र विषुवत रेखा से 18 अंश 9 कला 56 विकला उत्तर में स्थित है।


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