सार
वैदिक ज्योतिष में मनुष्य की जन्म कुंडली के अष्टम भाव को आयु या मृत्यु का भाव कहा जाता है, क्योंकि इस भाव से मृत्यु का कारण और समय पता किया जा सकता है।
उज्जैन. इस भाव में स्थिति राशि, ग्रह, ग्रहों की दृष्टि और दृष्टि संबंध के आधार पर आसानी से ज्ञात किया जा सकता है कि व्यक्ति कि मृत्यु कब और कहां होगी। आयु या मृत्यु के संदर्भ में अष्टम भाव का विचार करने के साथ अन्य शुभाशुभ ग्रहों और ग्रह युतियों का संबंध देख लेना भी उचित रहता है। आइए जानते हैं अष्टम भाव में स्थित राशि और ग्रह के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के बारे में...
1. जन्मकुंडली के अष्टम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति की मृत्यु अग्नि से होती है। यह अग्नि किसी भी प्रकार की हो सकती है। इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से, पेट्रोल-डीजल, गैस, वाहन या अन्य सभी प्रकार की अग्नि।
2. अष्टम भाव में चंद्र हो तो व्यक्ति की मृत्यु जल से होती है। नदी, तालाब, समुद्र, कुएं, बावड़ी में डूबने से। जल जनित रोगों आदि से मृत्यु होती है।
3. अष्टम भाव में मंगल हो तो अस्त्र-शस्त्र, चाकू, छुरी से कटने से मृत्यु होती है। किसी आकस्मिक दुर्घटना में शरीर में अनेक कट लगने से मृत्यु हो सकती है।
4. अष्टम भाव में बुध हो तो व्यक्ति की मृत्यु किसी प्रकार के ज्वर, बुखार, संक्रमण, वायरस, बैक्टीरिया आदि से हो सकती है।
5. अष्टम भाव में बृहस्पति होने पर मृत्यु अजीर्ण, अपच, पेट रोगों से होती है। फूड पॉइजनिंग, खानपान में लापरवाही से होने वाले रोगों से मृत्यु होती है।
6. अष्टम भाव में शुक्र हो तो व्यक्ति की मृत्यु भूख से होती है। अर्थात् किसी रोग के कारण जातक कुछ खा न पाए या समय पर कुछ खाने को न मिले तो मृत्यु हो सकती है।
7. जन्मकुंडली में अष्टमस्थ शनि हो तो व्यक्ति की मृत्यु प्यास या पानी की कमी से होती है। ऐसे जातक को किडनी रोग या जल की कमी से होने वाले रोगों के कारण मृत्यु होती है।
8. यदि राहु केतु समेत अनेक ग्रह अष्टम में हो तो जो ग्रह सबसे ज्यादा बली होता है, उसी के अनुसार मृत्यु समझना चाहिए।