What is Sadhya in Onam Festival: ओणम का यह त्योहार साद्य के बिना अधूरा है, ऐसे में बहुत से लोगों को ये नहीं पता कि साद्य क्या होता है, इसका क्या महत्व है आदि। ऐसे में चलिए ओणम आने से पहले जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
Onam Sadhya Meaning: केरल का सबसे बड़ा और पारंपरिक त्योहार ओणम सिर्फ एक सांस्कृतिक पर्व ही नहीं, बल्कि एक इमोशनल फेस्टिवल भी है। केरल में यह फसल कटाई का त्योहार है जो समृद्धि, भाईचारे और एकता का प्रतीक माना जाता है। ओणम का जिक्र आते ही सबसे पहले जो चीज लोगों के मन में आती है, वह है ओणम साद्य (Onam Sadya)। केले के पत्ते पर परोसा जाने वाला यह भोजन केवल स्वाद और व्यंजन की 64 संख्या तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें पूरे त्योहार की आत्मा और परंपरा छिपी होती है। बहुत से लोगों को लगता है कि साद्य सिर्फ ओणम में बनने वाला पकवान और व्यंजन है, लेकिन आपको बता दें कि यह इस त्योहार की आत्मा है जिसके बिना यह पूरा त्यौहार ही अधूरा है।
साद्य का असली मतलब
"साद्य" शब्द का अर्थ है "दावत" या "भोज"। लेकिन ओणम का साद्य साधारण भोजन से कहीं बढ़कर होता है। इसमें खासतौर पर शाकाहारी व्यंजन शामिल होते हैं और यह सात्विक भोजन का प्रतीक है। केले के पत्ते पर परोसा गया हर व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि जीवन के अलग-अलग रसों, मिठास, कड़वाहट, खट्टापन और तीखापन- का भी अनुभव कराता है। साद्य को इस बात का प्रतीक माना जाता है कि जीवन में हर भाव का महत्व है।
64 व्यंजन और उससे जुड़ी परंपरा
पारंपरिक ओणम साद्य में कभी-कभी 64 व्यंजन तक बनाए जाते हैं, हालांकि अब यह संख्या घर और बजट के हिसाब से कम या ज्यादा होती है। हर व्यंजन का अपना अलग स्वाद, रंग और टेक्सचर होता है। अवियल, ओलन, थोरन, सांभर, रसम, पचड़ी और पायसम जैसे मुख्य व्यंजन साद्य के अहम हिस्सा हैं। इन व्यंजनों को बनाना केवल खाना पकाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सामूहिक उत्सव है जिसमें पूरा परिवार और पड़ोसी मिल जुलकर इसे तैयार करते हैं।
केले के पत्ते पर परोसने का महत्व

साद्य हमेशा केले के पत्ते पर परोसा जाता है और इसे दाएं हाथ से खाने की परंपरा है। केले का पत्ता न सिर्फ इको फ्रेंडली है बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है। पत्ते पर परोसा गया भोजन उसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुणों इससे और भी पौष्टिक बनाता है। यह तरीका भारतीय संस्कृति की प्रकृति लाइफस्टाइल को दर्शाती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश
ओणम का साद्य सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं होता। इस दिन पूरा गांव या मोहल्ले के लोग इकट्ठा होकर मिलकर साद्य के लिए भोजन तैयार करते हैं। इससे समाज में समानता और भाईचारे का संदेश फैलता है। चाहे अमीर हो या गरीब, सभी एक साथ बैठकर केले के पत्ते पर वही भोजन करते हैं, जो साद्य के लिए बनाया जाता है। यह इस त्योहार की असली खूबसूरती और महत्व है।
साद्य से पूरा होता है ओणम
ओणम का हर रस्म, हर परंपरा अपने आप में खास है, लेकिन अगर साद्य न हो तो त्योहार अधूरा है। यह केवल पेट भरने वाला भोजन नहीं, बल्कि समृद्धि, परंपरा और शेयर करने वाला केरल का संस्कृति का उत्सव है। साद्य हमें यह सिखाता है कि त्योहार का असली मजा तभी है जब उसे सब मिलकर इसे शेयर करें और साथ बैठकर उसका स्वाद और मजा लें।
