Breast Cancer Awareness Month: ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ में जानें क्यों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जांच से बचती हैं और कैसे मैमोग्राफी समय पर डायग्नोसिस में मदद करती है। 40 वर्ष से अधिक की महिलाओं के लिए जरूरी स्क्रीनिंग टिप्स।

Breast Screening: 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक का महीना ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है। ब्रेस्ट कैंसर संबंधित रिसर्च ,इससे बचाव और इलाज के बारे में इस अवेयरनेस मंथ में लोगों को जानकारी दी जाती है। ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो धीरे-धीरे शरीर में फैलती है लेकिन लक्षण दिखाई नहीं पड़ते। जब कैंसर बढ़ने लगता है, तब इसका पता चलता है। अगर हर साल ब्रेस्ट कैंसर की जांच कराई जाए, तो इस कैंसर के बारे में पता लगाना आसान हो सकता है। लेकिन कई महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जांच से बचती हैं। आइए जानते हैं आखिर क्या कारण है कि महिलाएं स्तन की जांच को इग्नोर करती हैं और यह कैसे ब्रेस्ट कैंसर के डायग्नोसिस में जांच मदद करती है।

महिलाएं क्यों बचती हैं ब्रेस्ट कैंसर की जांच से?

भारत में हर साल 2,30000 से ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के केस आते हैं। हालात इतने खराब होने के बावजूद महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की जांच करने से कतराती हैं। इसके पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण हैं। 'कहीं मेरा रिजल्ट पॉजिटिव ना आ जाए, अगर ब्रेस्ट कैंसर हुआ, तो आखिर कैसे इलाज करवाऊंगी? ब्रेस्ट कैंसर से क्या मैं पूरी तरह उबर पाउंगी? कई बार तो महिलाओं के मन में यहां तक सवाल आता है कि जब मैं पूरी तरीके से ठीक महसूस कर रही हूं, तो आखिर क्यों ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग कराऊं? महिलाओं की ऐसी सोच सिर्फ भारत नहीं बल्कि अन्य देशों में भी है।

40 वर्ष और उसके बाद की आयु की अधिकतर महिलाएं मैमोग्राफी नहीं करवाती हैं। 10 में से एक से ज्यादा महिलाओं ने तो कभी मैमोग्राफी कारवाई ही नहीं। जबकि 40 वर्ष से अधिक की उम्र में मैमोग्राफी कराने से ब्रेस्ट कैंसर जल्दी डायग्नोज हो जाता है और सही समय पर इलाज भी होता है। यानी मैमोग्राफी महिलाओं की जान बचाने के लिए भी बेहद जरूरी जांच है।

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ब्रेस्ट कैंसर की जांच मैमोग्राफी में कितना समय लगता है?

हर महिला को ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए 40 साल के बाद मैमोग्राफी जरूर करवानी चाहिए। मैमोग्राफी की प्रक्रिया पर आमतौर पर 15 से 30 मिनट ही लगते हैं। मैमोग्राफी के दौरान ब्रेस्ट को मशीन में रखकर एक्स-रे किया जाता है। इससे कैंसर का पता चलता है। स्क्रीनिंग मैमोग्राम एक रेगुलर चेकअप है, जो कम समय में हो जाता है। अगर डॉक्टर को रिपोर्ट में कुछ असामान्य में दिखता है, तो वह डायग्नोस्टिक मैमोग्राम करते हैं। इमेजिंग के लिए इसमें ज्यादा पिक्चर्स ली जाती हैं। इस कारण से इसमें करीब 2 घंटे का समय लग सकता है। आपको डॉक्टर से मेमोग्राफी के बारे में अधिक जानकारी लेनी चाहिए।

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