सार
Dipika Kakar Pregnancy: दीपिका कक्कड़ प्रेग्नेंसी के दौर से गुजर रही हैं। उन्हें जेस्टेशनल डायबिटीज हो गया है। आइए जानते हैं प्रेंग्नेंसी में यह बीमारी क्यों ट्रिगर करती है।
हेल्थ डेस्क. मशहूर टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ के लिए गुड न्यूज़ के साथ बैड न्यूज़ भी आई। गुड न्यूज़ दीपिका के प्रेग्नेंट होने की और बैड न्यूज़ ये कि मां बनने से पहले ही वो एक खतरनाक बीमारी की चपेट में आ गई हैं। दरअसल, प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में दीपिका को जेस्टेशनल डायबिटीज हो गई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी देते हुए इस बारे में खुलकर बात की। उन्होंने गर्भवती महिलाओं को इस बीमारी से सावधान रहने की नसीहत देते हुए कहा कि इससे डरने की जगह डॉक्टर की सलाह पर अमल करें और अपनी प्रेग्नेंसी को सुरक्षित बनाएं। सवाल है कि ये बीमारी कितनी खतरनाक है और गर्भवती महिलाओं के लिए इसका कितना रिस्क है?
जेस्टेशनल डायबिटीज से जंग
दीपिका कक्कड़ इस बीमारी की चपेट में आने वाली पहली महिला नहीं है। देश-दुनिया में हर साल लाखों महिलाएं इस बीमारी का सामना करती हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भवती महिला और पेट में पल रहे बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। लेकिन अगर सही उपाय किए जाएं और जरूरी एहतियात बरते जाएं तो इस बीमारी को हराया भी जा सकता है। इसके लिए दवा के साथ मजबूत इच्छा शक्ति और कुछ सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
क्या होता है जेस्टेशनल डायबिटीज?
जैसा कि नाम से जाहिर है, जेस्टेशनल डायबिटीज एक तरह का मधुमेह है। प्रेग्नेंसी के दौरान अगर डायबिटीज हो जाए तो उसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। आम तौर पर 24 से 28 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के दौरान ये बीमारी होती है। इसकी वजह से गर्भवती महिला का शरीर जरूरी इंसुलिन नहीं बना पाता। बता दें कि इंसुलिन वो हॉर्मोन है जिसे प्रैंकियाज बनाता है। इससे खून में शुगर लेवल काबू में रहता है। इसी एनर्जी का इस्तेमाल कर हमारी शरीर कई तरह के काम करता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज की बड़ी वजह
इस बीमारी को लेकर पूरी दुनिया में लगातार रिसर्च हो रहे हैं लेकिन अभी तक पुख्ता तौर से ये नहीं कहा जा सकता कि गर्भवती महिलाओं को ये क्यों होता है। लेकिन अब तक के शोध से जो बात सामने आई है, उससे ये साफ है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में कई बड़े हॉर्मोनल बदलाव होते हैं। इसके चलते ब्लड शुगर ठीक से नियंत्रित नहीं हो पाता और ग्लूकोज लेवल बढ़ता चला जाता है। हालांकि डिलिवरी के बाद महिला ठीक तो हो जाती है पर बाद में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में इंसुलिन का इंजेक्शन भी लेना पड़ सकता है।
कैसे पहचानें जेस्टेशनल डायबिटीज?
शुरू-शुरू में इस बीमारी की पहचान नहीं हो पाती, क्योंकि इसका कोई बड़ा लक्षण नजर नहीं आता। पर समय बीतने के साथ ये बीमारी असर दिखाना शुरू कर देती है। इसकी चपेट में आने वाली गर्भवती महिला को बार-बार प्यास लगती है। इसके अलावा यूरिन भी सामान्य से ज्यादा होने लगता है। जरूरत से ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होना या सामान्य से ज्यादा भूख लगना भी इसका लक्षण हो सकता है। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसी कोई शिकायत हो तो फौरन इसकी जांच करवाएं और डॉक्टर की सलाह पर जरूर अमल करें।
जेस्टेशनल डायबिटीज से कैसे करें बचाव?
गर्भवती महिला को कम से कम हफ्ते में एक बार अपने शुगर लेवल की जांच करवाते रहना चाहिए। इस बीमारी का पता चलने के बाद इलाज के साथ-साथ खान-पान भी पूरा ध्यान देना जरूरी है। ऐसी स्थिति में स्वस्थ आहार लेना और नियमित व्यायाम करना बहुत जरूरी है। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक नियमित रूप से दवा भी लेते रहें। इस बात का ख्याल रखें कि इसके लिए खुद से कोई दवा न लें वरना प्रेग्नेंसी पर बुरा असर पड़ सकता है।
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