सार
विशेषज्ञों का कहना है कि खराब ग्लाइसेमिक नियंत्रण वाले लोगों को कोरोना से सावधानी बरतनी चाहिए। खासकर इस वक्त जब ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट तेजी से फैल रहा है।
हेल्थ डेस्क. कोरोना फिर के तेजी से फैल रहा है। पिछले 24 घंटे में देश में 11 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। वहीं 27 लोगों की मौत हुई है। देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 53 हजार 720 हो गई है। मतलब कोरोना से सावधान रहने की जरूरत है खासकर डायबिटीज पेशेंट को। कई स्टडी में पता चला है कि डायबिटीज कोविड -19 (covid-19) के लक्षणों के कारण मृत्यु दर के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है। सामान्य तौर पर, डायबिटीज वाले लोगों में किसी भी वायरस के संपर्क में आने के बाद गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा अधिक होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि खराब ग्लाइसेमिक नियंत्रण वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है, खासकर ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट से। इंडियाटूडे से बातचीत में फिटरफ्लाई के सीईओ और सह-संस्थापक डॉ अरबिंदर सिंघल ने बताया कि गैर-संचारी रोग जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य मेटाबॉलिज्सम संबंधित समस्याओं से पीड़ित लोगों कई तरह के स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं।
स्टेरॉयड भी ब्लड शुगर के लेबल को बढ़ा सकता है
महामारी की दूसरी लहर के दौरान, यह देखा गया कि डायबिटीज और खराब ग्लाइसेमिक नियंत्रण वाले लोगों में मृत्यु दर या आईसीयू में भर्ती होने का जोखिम 5 गुना अधिक था। इसी तरह, उच्च रक्तचाप भी लोगों को उसी तरह से प्रभावित करता है जैसे कि डायबिटीज जहां तक COVID के जोखिम का संबंध है। गंभीर कोविड संक्रमण के दौरान दवाओं के रूप में दिए जाने वाले स्टेरॉयड भी ब्लड शुगर के लेबल को बढ़ाने का कारण बन सकता है।
ठीक होने के बाद कोरोना पेशेंट डायबिटीज के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं
डॉ. सिंघल ने कहा ने बताया कि कोविड से पहले जिन लोगों को मधुमेह नहीं था, वे ठीक होने के बाद इस स्थिति के प्रति अतिसंवेदनशील हो गए। वर्तमान में कोविड मामलों में बढ़ोतरी नए ओमिक्रॉन स्ट्रेन XBB.1.16 की वजह से हो रहा है। ऐसे में डायबिटीज पेशेंट और कोरोना के शिकार हो चुके लोगों को ज्यादा सावधानी बरतनी होगी।
लाइफस्टाइल में करें बदलाव
स्वास्थ्य संबंधित कोई दिक्कत नहीं हो इसे सुनिश्चित करने के लिए कोविड खत्म होने के महीनों दिन बाद भी नियमित रूप से ब्लड ग्लूकोज़ और ब्लड प्रेशर जैसी महत्वपूर्ण जांचों को रखना अनिवार्य है। इसके अलावा टाइम पर दवा लें। लाइफस्टाइल में बदलाव करें। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। उचित पोषण प्राप्त करना और आराम करना और हाइड्रेटेड रहना भी इसमें शामिल है।
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