Normal vs Mineral Water Difference: पानी के बिना किसी भी इंसान या जीव का गुजारा नहीं हो सकता। आज के समय में साधारण पानी के अलावा कई तरह के पानी मार्केट में उपलब्ध है, लेकिन क्या आपको पता है कि नॉर्मल VS मिनरल वाटर में अंतर, नहीं तो चलिए जानते हैं।

Mineral vs Regular Water: पानी हर इंसान की जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा है, लेकिन आज मार्केट में मिलने वाले अलग-अलग टाइप के पानी ने लोगों को थोड़ा कंफ्यूज कर दिया है। खासकर नॉर्मल वाटर और मिनरल वाटर के बीच का फर्क समझना हर किसी के लिए आसान नहीं है। देखने में दोनों पानी एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनके सोर्स, स्वाद, मिनरल्स, प्रोसेसिंग और न्यूट्रिशन वैल्यू में बड़ा अंतर होता है। यही कारण है कि मिनरल वाटर को अक्सर हेल्दी मान लिया जाता है, जबकि नॉर्मल पानी को साधारण समझकर इग्नोर कर दिया जाता है। अगर आपको भी ये जानना है कि नॉर्मल और मिनरल वाटर में क्या बड़ा अंतर है और दोनों में कौन बॉडी के लिए बेस्ट है, तो चलिए जानते हैं आसान भाषा में।

नॉर्मल वाटर क्या होता है?

नॉर्मल वाटर आम तौर पर टेप वाटर, RO वाटर या फिल्टर से मिलने वाला पानी होता है। यह पानी कई स्टेप्स से फिल्टर होकर साफ किया जाता है ताकि इसमें मौजूद बैक्टीरिया, केमिकल्स, जर्म्स और इंप्योरिटी हट जाएं। हालांकि इस प्रोसेस में कई बार पानी के नेचुरल मिनरल्स भी कम हो जाते हैं, जिस वजह से इसका स्वाद साधारण से अलग लगता है। नॉर्मल वॉटर न्यूट्रिशन या मिनरल कंटेंट पर फोकस नहीं करता, बल्कि केवल पानी से हानिकारक तत्वों को दूर करने पर फोकस करता है।

मिनरल वॉटर क्या होता है?

मिनरल वाटर नेचुरल सोर्स जैसे स्प्रिंग, हिल्स या अंडरग्राउंड रिजर्वायर से लिया जाता है, जहां पानी खुद ही नेचुरल मिनरल्स के संपर्क में आता है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम, बाइकार्बोनेट जैसे मिनरल पहले से मौजूद होते हैं। ये मिनरल्स पानी को न केवल टेस्ट में बेहतर बनाते हैं, बल्कि शरीर को माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी प्रोवाइड करते हैं। मिनरल वाटर को ज्यादा प्रोसेस नहीं किया जाता, ताकि इसके नेचुरल मिनरल्स सेफ रहे। इसी वजह से इसका स्वाद नॉर्मल पानी की तुलना में अलग और थोड़ा रिच लगता है।

इसे भी पढ़ें- Infused Water के 5 जादुई फॉर्मूले! गर्मी में रहें Naturally Cool

दोनों के स्वाद और मिनरल कंटेंट में क्या है फर्क होता है?

नॉर्मल पानी का स्वाद कई बार फीका या माइल्ड लगता है क्योंकि RO या फिल्ट्रेशन सिस्टम उसके नेचुरल मिनरल्स को कम कर देते हैं। वहीं मिनरल वाटर में मौजूद नेचुरल मिनरल्स इसे हल्का मीठा, सॉफ्ट और बैलेंस्ड टेस्ट देते हैं। यदि दोनों को एक साथ पिया जाए तो स्वाद का अंतर आसानी से महसूस किया जा सकता है।

मिनरल वाटर में मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे मिनरल्स इसे न्यूट्रिशन के लिहाज से भी थोड़ा बेहतर बना देती है। शरीर ऐसे मिनरल्स को जल्दी एब्जॉर्ब कर लेती है, जिससे हाइड्रेशन के साथ-साथ माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की पूर्ति भी होती है। इसके उलट नॉर्मल वाटर केवल हाइड्रेशन प्रदान करता है, लेकिन न्यूट्रिशन के मामले में इसकी क्षमता कम या न के बराबर होती है।

क्या मिनरल वाटर रोज पीना चाहिए?

मिनरल वाटर हेल्दी होता है, लेकिन इसकी कीमत नॉर्मल पानी की तुलना में ज्यादा होती है। रोजाना इसे पीने की जरूरत नहीं होती, खासकर तब जब आपके घर में साफ और बैलेंस्ड पानी आता हो। अगर आपको सफर में, जिम के बाद या डिहाइड्रेशन महसूस होने पर क्विक मिनरल सपोर्ट चाहिए, तो मिनरल वाटर एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। लेकिन रोजमर्रा के लिए सामान्य पानी भी पूरी तरह सेफ और अच्छा है, बस ध्यान रखें की साधारण पानी साफ और फिल्टर्ड होना चाहिए।

इसे भी पढ़ें- Drinking Water Benefit and Risk: रोजाना 3 लीटर पानी पीना सही? ये बन सकता है खतरा