सार

राजस्थान के अलवर में रहने वाली चार साल की बच्ची के दोनों हाथों की उंगलियां कट गई थी। जिसकी वजह से वो ना तो खिलौने पकड़ पाती है और ना ही लिख पाती है। लेकिन सफदरगंज अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्ची को उंगलियों का तोहफा दिया है।

हेल्थ डेस्क. राजस्थान के अलवर में रहने वाली मायरा के लिए सफदरगंज के डॉक्टर किसी भगवान से कम नहीं हैं। उन्होंने उसे वो तोहफा दिया है जिसकी वजह से उसकी जिंदगी के रंग बदल जाएंगे। चार के बच्ची के हाथ में दो उंगलियां लगा दी गई हैं जो पूरी तरह से फंक्शनल हैं। बच्ची की उंगलियां ना सिर्फ खिलौने पकड़ सकेंगी। बल्कि लिख भी सकती हैं।

मायरा की दोनों हाथों की उंगलियां चारा काटने वाली मशीन से कट गई थीं। हथेली का भी कुछ हिस्सा वो गंवा दी थीं। उसवक्त बच्ची का परिवार तुरंत अस्पताल लेकर गए, लेकिन उसकी उंगलियों को नहीं जोड़ी जा सकीं। इसके बाद से बच्‍ची बिना उंगलियों और अंगूठों के हाथों से कोई भी काम नहीं कर पाती थी। उसका बचपन खिलौने के बिना गुजर रहा था। ना ही वो पेंसिल पकड़ पाती थीं। उंगलियां नहीं होने की वजह से उसका स्कूल में दाखिला नहीं हो सका।

पिता बच्ची को लेकर पहुंचे सफदरगंज

जब बच्ची के पिता नेतराम को दिल्‍ली के सफदरजंग अस्‍पताल में फिंगर रीकंस्‍ट्रक्‍शन के लिए बर्न्‍स एंड प्‍लास्टिक सर्जरी विभाग के बारे में पता चला तो जनवरी 2023 को बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचे। जहां विभाग में कई बड़ी सर्जरी को कर चुके डॉक्‍टरों की टीम ने विभाग के एचओडी प्रोफेसर डॉ. शलभ कुमार की देखरेख में उसकी उंगलियों को वापस लाने का प्रोसीजर शुरू किए। उन्होंने बाएं पैर की दो उंगलियों को उसके हाथ में ट्रांसप्लांट करने की योजना बनाई।

बहुत जटिल होती है सर्जरी की प्रक्रिया

पावर्ड बाय डॉ शलभ कुमार ने कहा कि यह एक बहुत ही जटिल सर्जरी थी।जिसमें पतले धागे जैसी खून की नलिकाओं को ब्‍लड सर्कुलेशन, नसों को फंक्‍शनल करने के लिए एक साथ जोड़ना होता है। यह सर्जरी माइक्रो वैस्‍कुलर सर्जरी के अंतर्गत आती है। इसके लिए अनुभवी और विशेषज्ञ सर्जन्‍स और एनेस्‍थीसिया टीम की जरूरत होती है। इस तरह की सर्जरी एक ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप के तहत की जाती है और इसके लिए विशेषज्ञ प्लास्टिक सर्जन और एनेस्थीसिया टीमों की आवश्यकता होती है।

बाएं पैरों कीदो उंगलियों को हाथ में जोड़ा गया

ऑपरेशन करने वाली टीम का नेतृत्व डॉ. राकेश कैन कर रहे थे, जबकि एनेस्थीसिया चार डॉक्टरों की टीम ने दिया था। सर्जरी 16 मई, 2023 को की गई और इसे पूरा करने में 9 घंटे लगे। डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन के 4 दिनों के बाद बच्ची ठीक थी और उसकी उंगलियां काम कर रही थीं। सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ बीएल शेरवाल ने कहा कि पैर की अंगुली का प्रत्यारोपण बहुत कठिन प्रक्रिया है और बहुत कम केंद्रों पर की जाती है।

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