सार
eCPR Life Saving Technique: "भुवनेश्वर एम्स के डॉक्टरों ने eCPR तकनीक से 24 वर्षीय सैनिक की जान बचाई। 90 मिनट तक रुका दिल, cutting-edge तकनीक ने दिया नया जीवन। जानें eCPR प्रक्रिया और इसके महत्व।"
हेल्थ डेस्क: भुवनेश्वर एम्स स्थित डॉक्टरों ने 24 साल के सैनिक की ऐसी हालत में जान बचाई, जिसपर यकीन कर पाना मुश्किल है। हार्ट फेलियर के कारण पेशेंट का करीब 90 मिनट तक हृदय रुका रहा। डॉक्टरों ने कंवेंशनल CPR दिया, इसके बावजूद भी दिल में कोई भी हलचल नहीं दिखाई पड़ी। फिर तुरंत ECPR (cutting-edge eCPR procedure) का भी इस्तेमाल किया गया। करीब 40 मिनट के बाद पेशेंट का हार्ट फिर से धड़कने लगा। 3 दिनों बाद तक पेशेंट की धड़कनें भी सामान्य हो गई हैं। इस तरह के आधुनिक ECPR तकनीक के बारे में कम ही लोगों को जानकारी होती है।
ढेढ़ घंटे तक बंद रहा सैनिक का दिल
एम्स के डॉक्टर्स के मुताबिक पिछले महीने यंग पेशेंट को हार्ट फेलियर हुआ था। गंभीर अवस्था में हॉस्टिटल पहुंचने के तुरंत बाद पेशेंट को कार्डियक अरेस्ट भी हो गया। डॉक्टर्स ने तुरंत पेशेंट को कंवेंशनल सीपीआर दिया। इसके बावजूद कोई भी कार्डियक एक्टिविटी नहीं हुई।इस क्रिटिकल कंडीशन को देखते हुए डॉक्टर के पास पेशेंट को मृत घोषित करने या कटिंग एज ईसीपीआर (Extracorporeal Cardiopulmonary Resuscitation) देने का रास्ता बचा था।
ईसीपीआर एक एडवांस मेडिकल प्रोसीजर है जिसमें एक्स्ट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन टेक्नीक के साथ कंबाइन किया जाता है। जैसे ही पेशेंट को ईसीपीआर दिया गया, उसका दिल धड़कना शुरू हो गया और पेशेंट जिंदा हो गया। टाइम्स ऑफ इंडिया को जानकारी देते हुए डॉ. श्रीकांत बेहरा ईसीएमओ विशेषज्ञ ने बताया कि ओडिशा के चिकित्सा इतिहास में ईसीपीआर तकनीकी मील का पत्थर साबित हुई है।
कैसे दिया जाता है eCPR?
जब व्यक्ति का हार्ट काम करना बंद कर देता है तो eCPR तकनीकी संजीवनी की तरह काम करती है। बड़ी रक्त कोशिकाओं में कैथेटर मशीन लगाई जाती है, जिसमें ब्लड को डाइवर्ट किया जाता है। मशीन ब्लड को ऑक्सीजनयुक्त करती है और वापस शरीर में पंप करने के लिए भेजती है। जिन लोगों को 15 से 30 मिनट CPR देने के बाद भी कोई हलचल नहीं दिखती है, उन्हें ईसीपीआर दिया जाता है। eCPR देने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत होती है। ये ऐसी तकनीकी है जो हार्ट पेशेंट्स के लिए अंतिम विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जाती है।
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