Early symptom of heart attack in women: 45+ की उम्र में महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। जानें किन साइलेंट लक्षणों को अनदेखा न करें। नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इससे बचाव संभव है।

45+ की उम्र आते ही महिलाएं घर, परिवार और करियर के बीच इतना बैलेंस बनाती हैं कि कई बार अपनी हेल्थ को नजरअंदाज कर देती हैं। हाल ही में सुष्मिता सेन ने अपनी हार्ट हेल्थ को लेकर जो अनुभव शेयर किए हैं, उसने फिर से एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है क्या 40–45+ की उम्र में महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है? जवाब है हाँ, और यह उतना ही गंभीर है जितना अक्सर समझा नहीं जाता। यहां जानें क्यों बढ़ता है हार्ट डिजीज का खतरा और कौन से साइन बिल्कुल भी इग्नोर नहीं करने चाहिए।

हार्ट अटैक के 6 साइलेंट साइन बिल्कुल न करें इग्नोर 

लगातार थकान और कमजोरी: अगर बिना किसी भारी काम के थकान बनी रहती है या अचानक कमजोरी महसूस हो, तो यह दिल के सही ढंग से ब्लड पंप न करने का संकेत हो सकता है।

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छाती में हल्का दबाव या जलन: महिलाओं में अक्सर टाइटनेस, पिनचिंग या प्रेशर जैसा महसूस होता है। इसे अक्सर गैस समझकर छोड़ दिया जाता है, लेकिन यह हार्ट स्ट्रेस का साइन हो सकता है।

गर्दन, जबड़े और कंधे में दर्द: पुरुषों में सीने का दर्द कॉमन है, लेकिन महिलाओं में जॉ, नेक और शोल्डर पेन ज्यादा दिखता है। यह दिल तक जाने वाली नसों में ब्लॉकेज का संकेत हो सकता है।

अचानक सांस फूलना: सीढ़ियां चढ़ते समय या नॉर्मल वॉक के दौरान भी अगर सांस रुकने लगे तो यह हार्ट की कमजोरी का साफ संकेत है।

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पसीना आना खासकर ठंडे पसीने: हार्ट अटैक से पहले कई महिलाओं को बिना वजह ठंडा पसीना आता है। यदि यह चक्कर के साथ हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

नींद में बाधा और चक्कर आना: रात में अचानक घबराहट के साथ नींद खुल जाना, चक्कर आना या बेहोशी जैसा महसूस होना भी कार्डियक साइन हो सकता है।

कैसे करें हार्ट अटैक से बचाव? 

  • हर 6 महीने में Lipid Profile और ECG
  • 30 मिनट रोज वॉक और 10 मिनट डीप ब्रीदिंग
  • सैचुरेटेड फैट कम करें 
  • रात की नींद 7–8 घंटे 
  • स्ट्रेस मैनेजमेंट में योग, ध्यान 
  • ब्लड प्रेशर और शुगर कंट्रोल में रखें