सार

स्वास्थ्य की दुनिया में आए दिन कोई ना कोई बीमारी सामने आती है और हमारे वैज्ञानिक इसका तोड़ निकालते हैं। हम आपको इस सप्ताह के 2 बड़े हेल्थ न्यूज बताएंगे जो चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

हेल्थ डेस्क. हेल्थ वर्ल्ड में आए दिन कई तरह के खोज होते रहते हैं। कुछ बीमारियां जो लोगों को ज्यादा तकलीफ देती है उसे लेकर वैक्सीन और दवाओं पर तेजी से काम होता है। पिछले हफ्ते कुछ नए मेडिकल इनोवेशन हुए। जिसमें अल्जाइमर की बीमारी का इलाज और ब्रेस्ट कैंसर की दवा को लेकर प्रगति की खबर सामने आई। तो चलिए यहां पर हम तीन हेल्थ प्रगति से जुड़ी खबर बताते हैं।

टीबी वैक्सीन के अंदर छुपा है अल्जाइमर का इलाज

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अब 55 मिलियन लोगों को अल्जाइमर और डिमेंशिया है। हर साल करीब 10 मिलियन नए मामले सामने आते हैं। अल्जाइमर रोग अब तक का सबसे आम रूप है, जो लगभग 60%-70% मामलों में होता है। इसकी विशेषता अमाइलॉइड बीटा नामक प्रोटीन के गुच्छे हैं जो मस्तिष्क के भीतर जमा होते हैं, न्यूरॉन्स को मारते हैं और कोशिकाओं के बीच सिनैप्टिक कनेक्शन को नष्ट कर देते हैं। लेकिन कई सालों के शोध से पता चला है कि टीबी के लिए लगाई जाने वाली वैक्सी बीसीजी (BCG) से इसका इलाज संभव है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बीसीजी का टीका इम्युन सिस्टम को बढ़ाते हुए ब्रेन डिसऑर्डर को ठीक करता है। ट्रेंड इम्युनिटी की अवधारणा टीबी (TB) से परे बीसीजी वैक्सीन के संभावित लाभों के केंद्र में है। यह सिद्धांत बताता है कि टीका अल्जाइमर रोग सहित विभिन्न खतरों के खिलाफ शरीर की सुरक्षा को अधिक मजबूत बना सकता है। बीसीजी टीका और अल्जाइमर को लेकर और भी शोध जारी है।

ब्रेस्ट कैंसर की नई दवा के कम साइड इफेक्ट

शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने कम साइड इफेक्ट वाली एक नई ब्रेस्ट कैंसर की दवा का क्लिनिकल ट्रायल किया है। जिससे ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम में इसके उपयोग की संभावना खुल सकती है।लगभग 80% स्तन कैंसर एस्ट्रोजन रिसेप्टर (ईआर) पॉजिटिव होते हैं, जिसका मतलब है कि एस्ट्रोजन हार्मोन ट्यूमर कोशिकाओं को बढ़ने के लिए कहता है। शोधकर्ताओं ने ओरल दवा एनोबोसार्म बनाई है, जिसे मरीज अच्छी तरह सहन कर रहे हैं। इसका साइड इफेक्ट कम नजर आ रहा है। यह लाइफ की क्वालिटी पर खराब असर नहीं डालता है, या मैस्कुलिन लक्षण नहीं पैदा करता है। यह पहली बार है कि नन-एस्ट्रोजन रिसेप्टर हार्मोनल ट्रीटमेंट नजरिए से ईआर+ ब्रेस्ट कैंसर में मेडिकल रूप से फायदेमंद दिखाया गया है।एडिलेड यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टरों का कहना है कि इस पर और क्लीनिक ट्रायल करने की जरूरत है।

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