सार

मणिपाल अस्पताल में भारतीय मूल की कनाडाई महिला के बच्चेदानी से 13 किलोग्राम का गांठ निकाला गया। यह गैर-कैंसरयुक्त था। आइए जानते हैं उसकी मेडिकल जर्नी और ट्रीटमेंट के बारे में।

 

हेल्थ डेस्क. भारतीय मूल की कनाडाई महिला को डॉक्टर्स ने जीवनदान दिया। उसके गर्भाशय से 13 किलों का फाइब्रॉइड (गांठ) निकाला। जिसकी वजह से वो लगातार परेशान चल रही थीं। यह गांठ गैर -कैंसरयुक्त था। सोच कर हैरानी हो रही होगी ना कि पेट में 13 किलो का गांठ कैसे हो सकता है। इसके बारे में आगे बताएंगे। लेकिन चलिए पहले जान लेते हैं महिला को इसकी वजह से क्या-क्या परेशानी हो रही थीं।

महिला को लगातार ब्लीडिंग हो रही थीं। पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द का वो सामना कर रही थीं। इतना ही नहीं पीठ और पेट में लगातार असुविधा का अनुभव करती थीं। इतना ही नहीं उसका पेट भी फूलने लगा था। उसकी स्थिति जब ज्यादा बिगड़ने लगी तो उसे बानेर के मणिपाल अस्पताल में लाया गया। जहां पर मेडिकल जांच में उसके गर्भाशय यानी बच्चेदानी में बड़ी सी गांठ पाई गई। गनिमत थी कि वो गैर कैंसरयुक्त ट्यूमर था। वो गांठ एक 36 सप्ताह की गर्भावस्था के बराबर था।

कनाडा में नहीं हो पाया इलाज

महिला के इस गांठ को निकालने के लिए इनवेसिव 'टोटल लैप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी' को चुना गया। अस्पताल की गायनो डॉ. बालाजी नालवाड ने बताया कि महिला का इलाज कनाडा में चल रहा था। लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। 115 किलोग्राम वजन और पहले तीन सीज़ेरियन सेक्शन होने के कारण, इस मरीज को सर्जरी के दौरान जटिलताओं का उच्च जोखिम था। इतना ही नहीं मरीज को हाइपरथायरायडिज्म, डायबिटीज, दिल से जुड़ी बीमारी और मोटापा भी शामिल थें।

मणिपाल अस्पताल ने किया कमाल

उसकी अन्य स्वास्थ्य चुनौतियों में हाइपरथायरायडिज्म, मधुमेह, दिल से संबंधित समस्याएं और मोटापा शामिल थे। बड़े गर्भाशय फाइब्रॉइड को देखते हुए, टोटल लैप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी का डिसीजन लिया गया। जिसमें 5 से 10 मिलीमीटर के चीरे और स्पेशल डिवाइस और कैमरे का उपयोग किया जाता है। यह मेथड ट्रेडिशनल सर्जरी की तुलना में कम जोखिम वाला होता है। हालांकि मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और फाइब्रॉइड के साइज की वजह से यह सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण थीं। मरीज को सर्जरी के 72 घंटे बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। उसके लक्षणों में तब से काफी सुधार हुआ है।

क्या होता है फाइब्रॉइड

गर्भाशय फाइब्रॉइड आमतौर पर गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर होते हैं जो गर्भाशय की दीवारों या आंतरिक भाग में विकसित होते हैं। जिससे मासिक धर्म के दौरान अधिक ब्लीडिंग, पेट दर्द और पेट या आंतों पर दबाव पड़ता है। अगर इसका इलाज नहीं किया जाए, तो ये फाइब्रॉइड आकार और संख्या में बढ़ सकते हैं।

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