सार
हाई ब्लड प्रेशर ग्लोबली खासकर दक्षिण-पूर्व एशिया में चिंता का विषय है। यहां हृदय रोग मृत्यु दर का सबसे अहम कारण हाई ब्लड प्रेशरहै। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में करीब आधे लोगों को हाइपरटेंशन केबारे में पता ही नहीं है। जिसके बारे में जानना बहुत जरूरी है।
हेल्थ डेस्क. 17 मई को दुनिया भर में हाइपरटेंशन डे (World hypertension day 2023) मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का मानना है कि हाइपटेंशन को लेकर जागरुकता फैलाने की बहुत ज्यादा जरूरत है। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में आधे से ज्यादा लोगों को इस साइलेंट बीमारी के बारे में पता ही नहीं है। हाई ब्लड प्रेशर की रोकथाम, पता लगाने और नियंत्रण के लिए मेडिकल सेवाओं को तत्काल बढ़ाने की जरूरत है।
हाई ब्लड प्रेशर को अक्सर 'साइलेंट किलर' कहा जाता है क्योंकि बहुत से लोग अपनी समस्या से अनजान होते हैं। इसलिए इसका ट्रीटमेंट नहीं हो पाता है। इस विकलांगता, दिल का दौरा या स्ट्रोक भी हो सकता है। डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया कि हाइपरटेंशन को रोकने का एकमात्र तरीका है आप अपने ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवाएं।
हाइपरटेंशन के कारण और बचाव
WHO के मुताबिक दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में एक चौथाई वयस्क आबादी में उच्च रक्तचाप है। तीन में से केवल एक वयस्क का इलाज होता है, जबकि 10 में से केवल एक व्यस्कों में हाइपरटेंशन नियंत्रण में है। हाइपरटेंशन के जोखिम कारकों में खराब डाइट अहम रोल निभाता है। जैसे अधिक नमक खाना, फास्ट फूड का सेवन, फलों और सब्जियों का कम सेनव, तंबाकू-शराब, अधिक मोटापा। जीवनशैली में बदलाव जैसे स्वस्थ आहार खाना, तम्बाकू छोड़ना और अधिक सक्रिय होना रक्तचाप के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर कम और मध्यम आय वाले देशों पर असमानरूप से डालता है प्रभाव
डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, "हाई ब्लड प्रेशर कम और मध्यम आय वाले देशों पर असमान रूप से प्रभाव डालता है, न केवल स्वास्थ्य बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करता है।" 2014 में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की रोकथाम और नियंत्रण इस क्षेत्र में एक प्रमुख प्राथमिकता रही है। जिसमें हाइपरटेंशन से निपटने के लिए कई प्रयास किए गए। जैसे 5 ग्राम से कम नमक सेवन,ट्रांस फैट को लेकर कंपनियों के लिए नियम बनाए गए,तंबाकू से दूरी बनाए रखने के लिए प्रयास किए गए। इन प्रयासों से 2025 तक लगभग 32% की औसत कमी हासिल करने के रास्ते पर है। आगे की मंजिल है कि लोगों के अंदर साइलेंट किलर को लेकर जागरुकता आए। मृत्यु दर को इस बीमारी की वजह से रोका जा सकें।
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