सार
Independence Day 2023:इस साल 15 अगस्त 2023 को पूरे भारत में 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा। अंग्रेजों से आजादी पाने के दौरान कई ऐसे पल आए जो इतिहास में दर्ज हो गए। आइए जानते हैं 7 ऐतिहासिक पलों के बारे में जिसे हर भारतीय को जानना चाहिए।
लाइफस्टाइल डेस्क. अंग्रेजों के चंगुल से भारत को निकालने के लिए अनगिनत लोगों ने बलिदान दिया। लंबे और कठिन संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 7 ऐतिहासिक मूमेंट जो भारत के लोगों के साहस, दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। वे हमें उन नेताओं, कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों के बलिदान की याद दिलाते हैं जिन्होंने स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत के जन्म में योगदान दिया। अतीत का सम्मान, भविष्य की योजना और देश हित की बात के साथ-साथ एकता के मूल्यों को संजोकर रखते हुए इस बार हम 77वां स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाने जा रहे हैं।
अहिंसक विरोध प्रदर्शन से लेकर हिला देने वाले भाषण तक, यहां भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 7 आइकॉनिक मूमेंट जिन्होंने देश के भविष्य को तय किया-
1. दांडी मार्च (1930)
महात्मा गांधी की नमक यात्रा, जिसे दांडी मार्च ( Dandi March ) के नाम से भी जाना जाता है, स्वतंत्रता की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण क्षण था। गांधी और उनके अनुयायियों ने ब्रिटिश नमक कर कानूनों को प्रतीकात्मक रूप से तोड़ने और पूरे देश में सविनय अवज्ञा की लहर भड़काने के लिए अरब सागर तक 240 मील से अधिक की पैदल यात्रा की।
2. जलियांवाला बाग नरसंहार (1919)
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे काले अध्यायों में से एक अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) था। ब्रिटिश सैनिकों ने एक शांतिपूर्ण सभा पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिससे सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। इसके बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया, जिसने स्वतंत्रता की मांग को और भड़का दिया।
3. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
जैसे ही द्वितीय विश्व युद्ध ( World War II)भड़का, महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement ) शुरू किया। इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और नागरिक अशांति देखी गई। हालांकि उन्हें कठोर दमन का सामना करना पड़ा। लेकिन स्वतंत्रता के लिए यह आंदोलन मिल का पत्थर साबित हुआ।
4. हाउस ऑफ कॉमन्स में दादाभाई नौरोजी का भाषण (1893)
अक्सर "भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन" के रूप में माने जाने वाले दादाभाई नौरोजी ब्रिटिश संसद के लिए चुने जाने वाले पहले भारतीय बने। हाउस ऑफ कॉमन्स में उनके भाषण ( Dadabhai Naoroji's Speech at the House of Commons) ने अंग्रेजों द्वारा भारत के आर्थिक शोषण को स्पष्ट रूप से उजागर किया और भविष्य की राजनीतिक सक्रियता की नींव रखी।
5. भगत सिंह का बलिदान (1931)
निडर क्रांतिकारी भगत सिंह औपनिवेशिक उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध के प्रतीक बन गए। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए कम उम्र में उनकी फांसी (Bhagat Singh's Sacrifice ) ने उनमें शहादत की भावना जगा दी और भावी पीढ़ियों को संघर्ष जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
6. विभाजन और स्वतंत्रता (1947)
वर्ष 1947 में भारत के स्वतंत्रता संग्राम अपने अंतिम चरण में पहुंच गया था। ब्रिटिश औपनिवेशक का अंत और भारत-पाकिस्तान के विभाजन का यह साल रहा। 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली, लेकिन विस्थापन और सांप्रदायिक हिंसा ने खुशी को धुंधला कर दिया था।
7. ट्रिस्ट विद डेस्टिनी (1947)
स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर जवाहरलाल नेहरू का प्रतिष्ठित भाषण, "ट्रिस्ट विद डेस्टिनी"(Tryst with Destiny (नियति से वादा) , देश की स्मृति में अंकित है। 15 अगस्त, 1947 की आधी रात को दिए गए नेहरू के शब्द आशा और भारत के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक थे।
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