सार
महाशिवरात्री फाल्गुन मास में मनाई जाती है। सवाल है कि इसे क्यों मनाया जाता है। इससे जुड़ी पौराणिक मान्यता क्या है। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ।
लाइफस्टाइल डेस्क. शिवरात्री तो हर महीने आती है। लेकिन महाशिवरात्रि साल में एक ही बार आती है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को इसे मनाया जाता है। सभी बारह शिवरात्रियों में से फरवरी-मार्च में आने वाली महाशिवरात्रि का सबसे अधिक आध्यात्मिक महत्व है। सदगुरु की मानें तो महाशिवरात्रि की रात ग्रह का उत्तरी गोलार्ध इस प्रकार स्थित होता है कि मनुष्य में ऊर्जा का प्राकृतिक उभार होता है। यह वह दिन होता है जब नेचर व्यक्ति को उसके आध्यात्मिक शिखर की तरफ पुश करती है। रात भर इसलिए शिव भक्त जागरण करते हैं।
इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 को है। धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो इस दिन शिव और शक्ति की मिलन हुई थी। कई जगह पर कहा गया है कि शिव और पार्वती की शादी इस दिन हुई थीं। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है। इस दिन शिवालय में खास आयोजन किया जाता है। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है।
महाशिवरात्रि पर पहली बार प्रकट हुए थे शिव
शिव पुराण की कथाओं की मानें तो शिवजी पहली बार सृष्टि में प्रकट हुए थे। उनका प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में हुआ था। एक ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो कोई आदि था और ना ही अनंत। कथा में लिखा गया है कि शिवलिंग के ऊपरी और निचले यानी शुरुआत और अनंत का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी और भगवान विष्णु निकलें। ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश की लेकिन वो असफल रहें। वहीं विष्णु भगवान भी वराह का रूप लेकर उनका आधार ढूंढे लेकिन वो भी नहीं मिल पाया। इसलिए ही कहा जाता है कि शिव अनंत हैं।
64 जगहों पर प्रकट हुए थे शिवलिंग
एक कथा के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन 64 जगहों पर शिवलिंग प्रकट हुए थे। लेकिन हम केवल 12 जगह के ज्योतिर्लिंग को जानते हैं। इस दिन उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। दीपस्तंभ इसलिए लगाते हैं ताकि लोग शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग को महसूस कर सकें।
कई जगह पर शिव की निकाली जाती है बारात
पौराणिक कथा के अनुसार देवों के देव महादेव और मां पार्वती का विवाह महाशिवरात्रि पर हुआ था। इस खास मौके पर शिव भक्त भगवान शिव की बारात निकालते हैं। मां पर्वती और शिव की खास पूजा अर्चना की जाती है।
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