Backup Partner Facts: UK के नए सर्वे के अनुसार, करीब 50% महिलाएं रिश्तों में 'बैकअप पार्टनर' रखती हैं। ज्यादातर महिलाएं ऐसे Plan-B विकल्प को इमोशनल सिक्योरिटी और अनिश्चितता से सुरक्षा के लिए तैयार रखती हैं।
Relationship Trends Survey: अगर आप सोचते हैं कि रिश्ते सिर्फ दो लोगों के बीच की ईमानदारी और भरोसे पर टिके होते हैं, तो ये नया सर्वे आपको चौंका सकता है। हाल ही में यूनाइटेड किंगडम (UK)में हुए सर्वे के मुताबिक, हर दूसरी महिला अपने रिलेशनशिप में एक ‘बैकअप पार्टनर’ तैयार रखती है, यानी कोई ऐसा शख्स जिसे वो तब अपनाने को तैयार हैं, जब उनका मौजूदा रिश्ता टूट जाए।यह ट्रेंड सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि आज के रिश्तों में बढ़ती अनिश्चितता, इमोशनल सिक्योरिटी की चाह और बदली सोच को दिखाता है। इस आर्टिकल में जानिए इस चौंकाने वाले सर्वे के पीछे की हकीकत।
सर्वे में 1000 महिलाओं को शामिल किया गया
यह सर्वे यूके की OnePoll संस्था की ओर से किया गया, जिसमें 1000 महिलाओं से-जिनमें शादीशुदा महिलाएं भी शामिल थीं, बैकअप पार्टनर को लेकर सवाल पूछे गए। नतीजे चौंकाने वाले थे। करीब 50 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उनके मन में पहले से एक बैकअप पार्टनर मौजूद रहता है, ताकि अगर उनका मौजूदा रिश्ता टूट जाए तो वे सीधे उस शख्स की ओर बढ़ सकें। यानी उनके पास पहले से ही एक 'Plan‑B' तैयार होता है। आज की रिलेशनशिप भाषा में इस ट्रेंड को 'बेंचिंग' कहा जाता है।
बैकअप पार्टनर किसे कहते हैं?
बैकअप पार्टनर वह व्यक्ति होता है जिसे अक्सर वर्षों से जानने वाला कोई पुराना दोस्त, एक्स-बॉयफ्रेंड, ऑफिस का सहकर्मी या जिम पार्टनर माना जाता इमोशनल कनेक्शन पहले से मजबूर रहा हो। इस मामले में करीब 10% महिलाओं ने कहा कि उनके Plan‑B ने पहले अपनी भावनाएं कबूल कर दी थीं, जबकि एक‑चौथाई ने कहा कि वह व्यक्ति उनके लिए कुछ भी छोड़ सकता है, अगर उन्हें जरूरत पड़े ।
क्या इनके वर्तमान पार्टनर को पता है?
कुछ मामलों में जवाब था- हां। सर्वे के अनुसार, लगभग 40% महिलाओं ने बताया कि उनके मौजूदा पार्टनर को उनके Plan‑B के बारे में पता था। कुछ ने इसे मजाक में लिया, लेकिन कई बार यह बात रिश्ते में असहजता और तनाव का कारण भी बनी।
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एक्सपर्ट की राय
रिलेशनशिप काउंसलर के मुताबिक, “Plan‑B” यानी बैकअप पार्टनर रखना किसी भी जेंडर के लोगों में देखा जा सकता है। जब किसी रिश्ते में अस्थिरता आ जाती है, प्यार की कमी महसूस होती है या भावनात्मक जुड़ाव कमजोर पड़ने लगता है, तो व्यक्ति खुद को मानसिक रूप से सुरक्षित महसूस करने के लिए किसी दूसरे विकल्प के बारे में सोचने लगता है। यह एक तरह की मेंटल सुरक्षा प्रक्रिया होती है।
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क्या यह नैतिक रूप से सही है?
एक तरफ जहां इसे तैयारी और भावनात्मक सुरक्षा माना जा सकता है, वहीं दूसरी ओर यह रिश्तों में वफादारी और प्राथमिकता पर सवाल उठाता है। अगर किसी रिश्ते में भरोसा, समझ और खुलकर बात करने का माहौल हो, तो बैकअप पार्टनर की जरूरत महसूस नहीं होती। यह ट्रेंड कहीं न कहीं आज के रिश्तों में बढ़ती असुरक्षा और बदलती सोच को भी दिखाता है।
