Why Grey Divorce Is Rising?: ग्रे डिवोर्स एक चेतावनी है, शादी सिर्फ साथ रहने का नाम नहीं, बल्कि साथ निभाने का संबंध है। ग्रे डिवोर्स 50+ उम्र के जोड़ों में तलाक का बढ़ता ट्रेंड है।
भारतीय संस्कृति में शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है, लेकिन बदलते समय के साथ यह सोच तेजी से बदल रही है। अब तलाक सिर्फ यंग कपल्स तक सीमित नहीं रह गया है। 50 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के पति-पत्नी भी अब बड़ी संख्या में अलग होने का फैसला ले रहे हैं। इस ट्रेंड को दुनियाभर में ग्रे डिवोर्स (Grey Divorce) कहा जाता है।
ग्रे डिवोर्स क्या है?
ग्रे डिवोर्स उस तलाक को कहा जाता है जिसमें 50 साल से अधिक उम्र के मैरिड कपल अलग होते हैं। पहले यह माना जाता था कि इतने लंबे समय तक साथ रहने के बाद लोग जीवनभर साथ निभाते हैं, लेकिन अब चीजें पूरी तरह से बदल रही है।
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विदेशों में कितनी ग्रे डिवोर्स की स्थिति?
अमेरिका में 1990 में 50 साल से अधिक उम्र के लोगों में तलाक की रेड सिर्फ 8.7% थी, जो अब 36% तक पहुंच चुकी है। वहीं जापान में भी तलाक के 22% केस ग्रे डिवोर्स में आते हैं। साथ ही दक्षिण कोरिया में 2011 में यह रेट 7% से बढ़कर अब 22% हो गई है। देखा जाए तो पश्चिमी देशों में यह ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है, और अब भारत में भी धीरे-धीरे इसका प्रभाव दिखने लगा है।
भारत में ग्रे डिवोर्स का असर
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार, 50 से अधिक उम्र के तलाक के मामले अभी भी 1% से कम हैं, लेकिन दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे शहरी इलाकों में यह तेजी से बढ़ रहे हैं। परिवारिक कंडीशन, बच्चों की जिम्मेदारी और सामाजिक दबाव अभी भी तलाक को रोकते हैं, लेकिन बदलाव के संकेत साफ दिख रहे हैं।
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आखिर ग्रे डिवोर्स क्यों बढ़ रहा है?
- उम्र बढ़ने के साथ जब बच्चे बड़े होकर अपने-अपने रास्ते चले जाते हैं, तो पति-पत्नी को अहसास होता है कि उनके बीच अब पहले जैसी समझ या नजदीकी नहीं रही।
- खासकर महिलाओं में आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ी है, जिससे वे अब असंतोषजनक रिश्ते में रहने की मजबूरी नहीं महसूस करतीं।
- आज समाज तलाक को पहले जितना गलत नहीं मानता, बल्कि इसे एक व्यक्तिगत निर्णय के रूप में स्वीकार करता है।
- 50 साल के बाद लोग अब यह सोच रहे हैं कि जीवन अभी खत्म नहीं हुआ, बल्कि अभी भी नयी शुरुआत की जा सकती है।
इसका असर बच्चों और परिवार पर क्या होता है?
शोध बताते हैं कि ग्रे डिवोर्स का असर सिर्फ पति-पत्नी पर नहीं, बल्कि उनके बच्चों पर भी पड़ता है, चाहे वे अडल्ट ही क्यों न हों। ऐसे बच्चे अक्सर इमोशनल अस्थिरता, गुस्सा या दूरी महसूस करते हैं। मां-बाप में से किसी एक का अकेलापन बढ़ जाता है। साथ ही बेटियां अक्सर मां की जिम्मेदारी उठाती हैं और बेटे, पिता से दूर हो जाते हैं। हालांकि तलाक चाहे किसी भी उम्र में हो, यह आसान नहीं होता। लेकिन अगर यह ट्रेंड बढ़ रहा है, तो इसका मतलब सिर्फ समस्या नहीं, बल्कि रिश्तों में कम्युनिकेशन की कमी है।
