सार
पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर पति का अनोखा बंटवारा कोर्ट के बाहर हुआ। दो पत्नियों वाला पति अब 3 दिन पहली बीवी तो तीन दिन दूसरी बीवी के साथ रहेगा। संडे को यानी रविवार को उसकी मर्जी चलेगी। आइए पूरी कहानी बताते हैं।
रिलेशनशिप डेस्क. पति-पत्नी के बीच जब वो आ जाए तो घर का बिखरना तय है। लेकिन इस केस में घर को बचाने के लिए फैमिली कोर्ट के काउंसलर ने कुछ ऐसी तरकीब निकाली कि पति को समझ नहीं आ रहा है कि ये उसके लिए सजा है या फिर मौज। दरअसल हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर की शादी साल 2018 में ग्वालियर के रहने वाली युवती के साथ हुई थी।
पति-पत्नी के बीच दूसरे की हुई एंट्री
शादी के बाद दोनों दो साल तक गुरुग्राम में रहें। इस दौरान उनका एक बेटा भी हुआ। कोरोना के वक्त वो अपनी पत्नी को ग्वालियर उसके मायके छोड़ आया। वो अकेले गुरुग्राम में आकर अपनी ड्यूटी करने लगा। लॉकडाउन की वजह से महिला अपने बेटे के साथ लंबे वक्त तक मायके में ही रही। लॉकडाउन खत्म होने के बाद इंजीनियर जब अपनी पत्नी को लेने नहीं गया तो दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। इसके बाद पत्नी अपने बेटे को लेकर खुद गुरुग्राम पहुंच गई। वहां पर उसे पता चला कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली। दोनों के बीच जमकर झगड़े हुए और वो वापस ग्वालियर मायके चली गई।
लॉकडाउन में पति का दिल दूसरी महिला पर आया
दरअसल, लॉकडाउन के दौरान इंजीनियर का अफेयर ऑफिस की एक महिला के साथ हो गया। दोनों के बीच संबंध बन गए और लिव इन में रहने लगे। इस दौरान गुपचुप तरीके से शादी भी रचा ली। दोनों की एक बच्ची भी हो गई।
कोर्ट के बाहर हुआ अनोखा फैसला
इधर, जब पहली पत्नी को ये बात पता चली तो वो ग्वालियर कुटुंब न्यायालय में केस दर्ज कराते हुए भरण-पोषण के लिए मुआवजे की मांग की। इस दौरान महिला की मुलाकात काउंसलर हरीश दीवान से हुई। उन्होंने महिला को समझाया कि भरण-पोषण की जिद्द करना छोड़कर पति के साथ ही रहे। क्योंकि जितना उसे पति की तरफ से मिलेगा वो कम पड़ जाएगा। बच्चे की परवरिश अच्छे से नहीं होगी। इतना ही नहीं कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने में भी पैसे उड़ेंगे। काउंसलर ने पति को भी ग्वालियर बुलाया और पहली पत्नी के साथ रहने की बात कहीं। लेकिन उसने साफ मना कर दिया। उसने कहा कि पहली पत्नी का नेचर अच्छा नहीं है वो आए दिन झगड़ती थी इसलिए दूसरी शादी कर लीं। लेकिन जब काउंसर ने अलग होने के परिणाम बताए तो वो समझौते के लिए मान गया। दरअसल, पहली पत्नी के होते हुए हिंदू मैरेज लॉ के मुताबिक दूसरी शादी अमान्य है। इसके लिए सजा का भी प्रावधान है। ऐसे में इंजीनियर की नौकरी भी चली जाती।
पति का हुआ बंटवारा
दोनों पत्नियों और पति को कोर्ट में बुलाया गया। काउंसलर ने बीच का रास्ता निकाला और फैसला किया कि तीन दिन पति पहली पत्नी और तीन दिन दूसरी पत्नी के साथ वो रहेगा। जबकि संडे का दिन केवल पति के लिए रहेगा। इस दिन वो जो चाहे कर सकता है। मतलब वो जिस पत्नी के साथ रहना चाहता है रह सकता है इसमें कोई रोक-टोक नहीं होगी। फैसले के बाद इंजीनियर पति ने दोनों पत्नियों के लिए अलग-अलग फ्लैट ले लिया है। जहां दोनों अपने-अपने बच्चों के साथ रह रहे हैं।
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