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Vat Savitri Vrat: वट सावित्री व्रत क्यों करती हैं सुहागन, जान लें इसके पीछे का रहस्य

Vat Savitri Vrat: वट सावित्री व्रत इस बार 26 मई को मनाया जाएगा। सुहागन महिलाएं इस व्रत को करती हैं ताकि पति की लंबी उम्र मिलें। आइए जानते हैं इस व्रत के पीछे की कहानी और बरगद का क्या महत्व है।

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Nitu Kumari
Published : May 22 2025, 11:36 AM IST
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Image Credit : ideogram.ai

Vat Savitri Vrat: 16 श्रृंगार करके सुहागन महिलाएं वट सावित्री व्रत करती हैं। सुहाग की लाली सदा सलामत रहें इस प्रण को लेकर वो वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा अर्चना करती हैं। इस बार 26 मई को यह पर्व मनाया जाएगा। व्रत करने के दौरान सुहागन महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कहानी सुनती हैं। जो बताता है कि अगर पत्नी चाह लें तो पति की उम्र लंबी हो सकती है, उसपर कोई बुरी नजर नहीं पड़ सकती है।

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पौराणिक कहानी के मुताबिक सावित्री का विवाह सत्यवान से हुआ था। दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। एक दिन सत्यवान लकड़ी काट कर घर लौटें और बेसुध होने लगें। सावित्री ने सत्यवान का सिर अपनी गोद में ले लिया। इतने में यमराज सत्यवान के प्राण हरने लगे। यह देखकर सावित्री ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। लेकिन यमराज नहीं माने और उन्होंने सावित्री कहा कि सत्यवान अल्पायु थे, इसलिए उनके जाने का समय आ गया है।

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यमराज ने सावित्री को वापस घर लौटने को कहा लेकिन सावित्री यमराज के पीछे आती रही। यह देखकर यमराज ने वापस लौटने के बदले सावित्री को तीन वरदान मांगने को कहा। जिसके बाद सावित्री ने पहला वर मांगा की मेरे सास-सुसर की आंखों की रोशनी वापस आ जाए। दूसरा वर सावित्री ने मांगा कि खोया हुआ राज्य वापस मिल जाए। तीसरा वर मांगते हुए उन्होंने कहा कि मैं 100 पुत्रों की मां बन जाऊं।

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यमराज ने अपना पीछा छुड़ाने के लिए सावित्री को तथास्तु कहा और वहां से सत्यवान के प्राण लेकर जाने लगे। लेकिन तभी सावित्री ने यमराज को रोकते हुए कहा कि आपका दिया वरदान पूरा कैसे होगा, जब आपने मेरे पति के प्राण ही हर लिए हैं। मैं पतिव्रता हूं। यमराज ने पतिव्रता स्त्री को देखकर सत्यवान को जीवनदान दे दिए। यमराज के कहने पर जब सावित्री घर के पास मौजूद वट वृक्ष के पास लौटी, तो वहां पर सत्यवान के मृत शरीर में वापस प्राण आ गए।

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क्यों होती है बरगद के पेड़ के नीचे पूजा

वट सावित्री व्रत की पूजा बरगद के पेड़ के नीचे होती है। बरगद के चारों तरफ धागे बांधे जाते हैं। मान्यतानुसार वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ पर यमराज निवास करते हैं। इससे विवाहित स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए यमराज से प्रार्थना करती है। इसके साथ ही बरगद के पेड़ पर त्रिदेव भी निवास करते हैं। छाल में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और इसकी शाखाओं में भगवान शिव रहते हैं। ऐसे में माना जाता है कि जिस व्यक्ति के सिर पर त्रिदेव का हाथ होता है, उसका मृत्यु भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती है।

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7 बार बांधा जाता है कलेवा

वट सावित्री व्रत कथा के बाद वट वृक्ष में 7 बार कलावा लपेटकर बांधा जाता है। वट वृक्ष की 7 परिक्रमा करने को पति-पत्नी के सात जन्मों के संबंध को जोड़ कर देखा जाता है। इससे अकाल मृत्यु भी टल जाती है।

About the Author

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Nitu Kumari
नीतू कुमारी। इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में 13 साल से अधिक का अनुभव। नवंबर 2021 से एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर लाइफ स्टाइल बीट देख रही हैं। इन्होंने मास कम्युनिकेशन में एमए किया हुआ है। एंटरटेनमेंट, पॉलिटिकल, सोशल और वूमेन इंटरेस्ट की स्टोरी पर इनकी रुचि है। इनसे nitu.kumari@asianetnews.in पर संपर्क किया जा सकता है।
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