Varanasi Travel Guide Dev Diwali: देव दिवाली का जश्न काशी में देखने लायक होती है। हम बात कर रहे हैं बनारस की देव दिवाली की, जहां स्वयं देव आते हैं दिवाली मनाने। अगर आप भी काशी में देव दिवाली का जश्न देखना चाहते हैं, तो ऐसे पहुंचे बनारस।
Dev Diwali Travel Guide: वाराणसी, जिसे काशी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया का सबसे प्राचीन और आध्यात्मिक शहर माना जाता है। गंगा घाट पर बसे इस नगर में दिवाली के ठीक पंद्रह दिन बाद मनाई जाने वाली देव दीपावली अपने आप में अद्भुत अनुभव है। सदियों से बनारस में देव दिवाली मनाई जाती है और कहा जाता है कि इस दिन देवता स्वयं गंगा तट पर उतरते हैं और दीपों से सजी काशी में भगवान शिव की आराधना करते हैं। अगर आप सच में भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को नजदीक से महसूस करना चाहते हैं, तो देव दीपावली के अवसर पर वाराणसी आकर देव दिवाली की भव्यता को गंगा घाट में महसूस करें।
देव दीपावली की कहानी और महत्व

देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा की रात मनाई जाती है, जो दिवाली के 15 दिन बाद आती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, और देवताओं ने गंगा तट पर दीप जलाकर इस विजय का उत्सव मनाया था। तभी से यह दिन “देवों की दिवाली” के रूप में जाना जाता है। इस रात वाराणसी के सभी घाटों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं, जिससे पूरा शहर जगमगा उठता है।
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काशी के घाटों की दिव्यता
देव दीपावली की शाम वाराणसी के लगभग 84 घाटों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं। दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, अस्सी घाट और पंचगंगा घाट जैसे प्रमुख घाटों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। गंगा आरती, दीपदान और मंत्रोच्चारण की गूंज से पूरा वातावरण देवमयी हो जाता है। गंगा के जल में झिलमिलाते दीपों का दृश्य इतना मनमोहक होता है कि ऐसा लगता है मानो आकाश के सारे सितारे धरती पर उतर आए हों। पर्यटक यहां नौका विहार करते हुए घाटों पर जलते दीपों का अद्भुत दृश्य देख सकते हैं और दीप दान भी कर सकते हैं।
देव दीपावली पर विशेष आयोजन

इस दिन काशी में केवल धार्मिक कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आयोजन भी होती हैं। शास्त्रीय संगीत, कथक नृत्य, भजन और गंगा महोत्सव जैसे आयोजन इस दिन को और भी भव्य एवं दिव्य बनाते हैं। स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ देशभर से आए संगीतज्ञ यहां अपनी प्रस्तुति देते हैं। रात होते-होते गंगा घाट सितारों की तरह जगमगाने लगता है।
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यात्रा का सही समय और तैयारी
देव दीपावली आमतौर पर नवंबर महीने की पूर्णिमा तिथि को होती है। हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक पहले से बुकिंग कराते हैं, इसलिए अगर आप यहां आने की प्लान बना रहे हैं तो होटल और बोट राइड की बुकिंग पहले से कर लें।
सुबह-सुबह गंगा स्नान और घाटों की सैर से दिन की शुरुआत करें और शाम को दीपदान का अद्भुत दृश्य देखने घाट पर जरूर जाएं। कार्तिक पूर्णिमा पर काशी में हल्की ठंड शुरू हो जाती है, इसलिए हल्के ऊनी कपड़े रखें, और सर्दियों से बचते हुए घाट की सुंदरता देखें।
कैसे पहुंचे वाराणसी

- वाराणसी हवाई, रेल और सड़क, तीनों मार्ग से देश के लगभग हर बड़े शहर से जुड़ा हुआ है।
- फ्लाइट- लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (बाबतपुर) से शहर 25 किमी दूर है।
- रेलवे- वाराणसी जंक्शन और मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन काशी का मुख्य स्टेशन है।
- रोडवे- लखनऊ, प्रयागराज, पटना और गोरखपुर जैसे शहरों से बस, कार और टैक्सी के माध्यम से बनारस पहुंच सकते हैं।
रहने और खाने की व्यवस्था
देव दीपावली के समय काशी में पर्यटकों की भारी भीड़ होती है, इसलिए होटलों की एडवांस बुकिंग जरूरी है। आप चाहें तो ओयो से भी होटल बुक कर सकते हैं। घाटों के पास कई गेस्ट हाउस और बुटीक होटल हैं जो गंगा व्यू के साथ ठहरने की सुविधा देते हैं।
खाने के शौकीनों के लिए काशी किसी फूड बाजार से कम नहीं, कचौड़ी-जलेबी, बनारसी ठंडाई, चाट और मालइयो जैसी चीजें फेमस फूड ट्राई करें।
