इस वर्ष देव दीपावली 5 नवंबर को मनाई जाएगी। दिवाली और देव दीपावली के बीच 15 दिन का अंतर होता है। दिवाली अमावस्या के दिन भगवान राम के वापस लौटने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है, जबकि देव दीपावली पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। 

Dev Deepawali 2025: हर साल, दिवाली के पंद्रह दिन बाद देव दीपावली मनाई जाती है। इस साल, देव दीपावली बुधवार, 5 नवंबर, 2025 को मनाई जाएगी। कई लोग दिवाली और देव दीपावली को एक ही समझ लेते हैं या दोनों त्योहारों को लेकर भ्रमित रहते हैं। हालांकि, देव दीपावली और दिवाली एक-दूसरे से काफी अलग हैं, और उनके उत्सव भी अलग-अलग हैं। अगर आप भी देव दीपावली और दिवाली को एक ही मानते हैं, तो हम इस लेख में दिवाली और देव दीपावली के बीच का अंतर समझाएंगे।

दिवाली और देव दिवाली में क्या अंतर है?

दिवाली और देव दिवाली में मुख्य अंतर यह है कि दिवाली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है और यह भगवान राम के रावण पर विजय के बाद अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। जबकि देव दिवाली कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है और यह भगवान शिव द्वारा राक्षस त्रिपुरासुर का वध करने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। इस बीच, देव दिवाली पर भगवान शिव की पूजा और गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

दीवाली कब मनाई जाती है

  • कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है, जब अमावस्या की रात को हर घर में दीप जलाए जाते हैं।
  • इस दिन भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में दीप जलाए गए थे।
  • मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है।
  • दिवाली पूरे भारत में घरों, कार्यालयों और मंदिरों में मनाई जाती है।
  • यह त्योहार समृद्धि, खुशी और नई शुरुआत का प्रतीक है।

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देव दीपावली कब मनाई जाती है

  • देव दीपावली दिवाली के 15 दिन बाद, कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है।
  • इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, इसलिए इसे देवताओं की दिवाली कहा जाता है।
  • भगवान शिव, भगवान विष्णु और मां गंगा की पूजा की जाती है।
  • यह मुख्य रूप से वाराणसी (काशी) के घाटों पर दीपों के एक भव्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
  • यह दिन देवताओं के पृथ्वी पर आगमन और धर्म की विजय का प्रतीक है।

देव दीपावली क्यों मनाई जाती है?

देव दीपावली को देवताओं की दिवाली भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी पर अवतरित होकर उत्सव मनाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध करके ब्रह्मांड की रक्षा की थी और उत्सव में सभी देवता काशी में प्रकट हुए थे। तब से, वाराणसी में देव दीपावली धूमधाम से मनाई जाती है।

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Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।