सार
जेनिफर ने इस संबंध में अपनी राय भी दी है, उन्होंने कहा कि "दिमाग पर तेजी से बदलते फिजिकल मूवमेंट के प्रभाव बहुत ज्यादा होते हैं, ये अच्छा इम्पेक्ट भी छोड़ते हैं। , Move the Body, Heal the Mind किताब में इस विषय को बहुत शानदार तरीके से समझाया गया है।
लाइफ स्टाइल। दुनिया में नित नई रिसर्च होती रहती हैं। इन शोध में इंसानी शरीर को लेकर सबसे ज्यादा दिलचस्पी देखी गई है। एक्सपर्ट की ओपिनियन के मुताबिक आप खुद को टेंशन से मुक्त करने, शरीर को लचीचा बनाने, लाइफ को ट्रेक पर लाने के लिए कसरत सबसे बेहतर उपाय है।
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पुरानी बाइक ने बदल दी जिंदगी
द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कुछ उदाहरण ( Example) देकर इस मुद्दे को स्पष्ट किया गया है। इसमें कहा गयाहै कि जब जेनिफर हाइज़ (Jennifer Heisz) ग्रेजुएट कर रहीं थीं, तब उन्होंने एक दोस्त की पुरानी बाइक ली, जिसमें जंग तक लग चुकी थी। इस बाइक ने उन्हें अपना करियर चुनने मेंमदद की है।दरअसल उस समय, वह संज्ञानात्मक तंत्रिका विज्ञान (cognitive neuro science) विषय पर स्टडी कर रहीं थीं। लेकिन उनके काम की कोई दिशा ही तय नहीं थी। वो अपनी लाइफ से खिन्न रहने लगी थी। कई सारे विषयों पर वह बहुत बारीकी से सोचने लगी थी। इसके बारे में जब उसके दोस्त को पता चला तो, उसके दोस्त ने मूड चेंज करने के लिए उसे के तौर पर बाइक चलाने का सुझाव दिया। इस बाइक राइडिंग ने उनके दिमाग को शांत किया।
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कसरत से दूर भगाए टेंशन
उस एक बदलाव ने उनके रिसर्च का फोकस ही बदल दिया। अब वे हैमिल्टन, ओंटारियो में मैकमास्टर यूनिवर्सिटी में न्यूरोफिट लैब की डॉयरेक्टर हैं। वह physical and emotional health के आपस के रिलेशन की स्टडी कर रही हैं। वे ये पता कर रही हैं कि किस तरह कसरत या शारीरिक श्रम टेंशन, चिंता, तनाव और मेंटल प्राब्लम सहित अन्य दूसरी स्वास्थ्य स्थितियों को दूर करने या उनका इलाज करने में मदद करता है। जेनिफर ने इस संबंध में अपनी राय भी दी है, उन्होंने कहा कि "दिमाग पर तेजी से बदलते फिजिकल मूवमेंट के प्रभाव बहुत ज्यादा होते हैं, ये अच्छा इम्पेक्ट भी छोड़ते हैं।
मूव द बॉडी, हील द माइंड
यह आइडिया उनकी नई किताब, "मूव द बॉडी, हील द माइंड" (Move the Body, Heal the Mind) को भी प्रेजेंट करता है, जो एक्सरसाइज और mental health के बारे में न्यू साइंस को भी परिभाषित करता है। इस हेज़ से एक चर्चा के दौरान पूछा गया कि क्या हम कसरत और चिंता को रिलेट कर सकते हैं।
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एक्सरसाइज बेहद फायदेमंद
हेज़ ने इसका जवाब देते हुए कहा कि चिंता को कम करने के लिए एक्सरसाइज बेहद फायदेमंद है। हर तरह की कसरत के बाद आपको आमतौर पर न्यूरोपैप्टाइड वाई ( neuropeptide Y) के कारण चिंता से थोड़ी राहत मिलती है। यह एक लचीलापन कारक है। यह anxious amygdala को शांत करने में मदद करता है, जो मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो खतरे को पहचानता है और हमें हाई अलर्ट पर रखता है। कोरोना संकट में हमारा दिमाग का ये हिस्सा हाई-अलर्ट पर है, जिससे तनाव बढ़ रहा है। व्यायाम हमारे शरीर में न्यूरोपैप्टाइड वाई कोकंट्रोल करके दिमाग को शांत करता है।
हल्का व्यायाम भी है करामाती
इसके बाद हेज़ ने बताया कि व्यायाम किस तरह का होना चाहिए, उनके मुताबिक यदि कोई हल्का- फुल्का कसरत करना चाहे तो वो वॉक करके भी टेंशन मुक्त हो सकता है। अपनी लैब के रिसर्च पर बात करते हुए हेज़ ने कहा कि पैदल चलने से आपके कसरत के तुरंत बाद चिंता कुछ कम हो जाती है । जैसे-जैसे कसरऔर फिर, समय के साथ, यदि आप व्यायाम करते रहते हैं, तो चिंता और भी अधिक त की टाइमिंग बढ़ती है चिंता घटती चली जाती है। हफ्ते में तीन दिन लगभग 30 मिनट का व्यायाम अच्छा है। इसके लिए पैदल चलना, साइकिल चलाना, स्विमिंग, डांस करके खुद को फिट रख सकते हैं।
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