सार
लॉकडाउन का सबसे बुरा असर गरीब-बेसाहारा लोगों पर पड़ रहा है। काम धंधा बंद हो जाने के चलते भूखे मरने की नौबत आने पर लाखों मजदूर पलायन कर रहे हैं। जहां वह अपने छोटे-छोटो बच्चों को साथ लेकर नंगे पैर हजारों किलोमीटर के सपर पर पैदल निकल पड़े हैं। एक ऐसी ही बेबसी की तस्वीर मध्य प्रदेश से सामने आई है।
भोपाल. लॉकडाउन का सबसे बुरा असर गरीब-बेसाहारा लोगों पर पड़ रहा है। काम धंधा बंद हो जाने के चलते भूखे मरने की नौबत आने पर लाखों मजदूर पलायन कर रहे हैं। जहां वह अपने छोटे-छोटो बच्चों को साथ लेकर नंगे पैर हजारों किलोमीटर के सपर पर पैदल निकल पड़े हैं। एक ऐसी ही बेबसी की तस्वीर मध्य प्रदेश से सामने आई है।
5 साल का बच्चा तपती दुपहरी में चल रहा नंगे पैर
दरअसल, मायूसी और बेबसी की यह तस्वीर राजधानी भोपाल की है। जहां मिस्त्री का काम करने वाले अविनाश दास अपनी पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ 700 किलोमीटर दूर अपने गांव छत्तीसगढ़ के मुंगेली गांव के लिए निकल पड़े हैं। मजदूर के आगे-आगे उनका एक पांच साल का बेटा हाथ में बाल्टी लिए छोटे-छोटे कदमों के साथ तपती दुपहरी में नंगे पैर चलता जा रहा है। जब कहीं थक जाता तो बैठ जाता और पानी पीकर फिर अपने सपर पर चल पड़ता।
मजूदर की पत्नी ने बयां किया अपना दर्द
लॉकडाउन ने इस परिवार के सारी खुशियों को बिखेर दिया। मजदूर अविनाश की पत्नी बताती है कि हमने पुलिस थाने से लेकर नगर निगम के कई चक्कर काटे लेकिन किसी ने कोई घर पहुंचाने की मदद नहीं की। तो ऐसे में हमने पैदल ही घर जाना उचित समझा। अगर यहां रहते तो हमारा पूरा परिवार भूखा ही मर जाता। सरकार तो सिर्फ अमीरों के लिए काम कर रही है, ना कि गरीबों की मदद, अगर वह हम लोगों की सहायता करती तो आज हम लोग पैदल नहीं चलते।