सार

PPP मॉडल पर बने देश के इस पहले रेलवे स्‍टेशन का री-डेवलपमेंट जर्मनी के हेडलबर्ग रेलवे स्‍टेशन की तर्ज पर किया गया है। साल 1955 में बने जर्मन हेडलबर्ग रेलवे स्टेशन पर रोजाना करीब 42 हजार यात्री आते हैं लेकिन किसी तरह की भीड़ नहीं होती है और ना ही कोई परेशानी। इसी स्टेशन की तरह हबीबगंज में भी सेफ्टी, सिक्योरिटी और फैसिलिटी होगी।

भोपाल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 15 नवंबर को मध्‍यप्रदेश (madhya pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) पहुंचेंगे और यहां नवनिर्मित हबीबगंज (Habibganj) रेलवे स्‍टेशन  का उद्घाटन करेंगे। PPP मॉडल पर बने देश के इस पहले रेलवे स्‍टेशन का री-डेवलपमेंट जर्मनी (germany) के हेडलबर्ग (Heidelberg) रेलवे स्‍टेशन की तर्ज पर किया गया है। साल 1955 में बने जर्मन हेडलबर्ग रेलवे स्टेशन पर रोजाना करीब 42 हजार यात्री आते हैं लेकिन किसी तरह की भीड़ नहीं होती है और ना ही कोई परेशानी। इसी स्टेशन की तरह हबीबगंज में भी सेफ्टी, सिक्योरिटी और फैसिलिटी होगी। आइए जानते हैं हबीबगंज रेलवे स्टेशन की वर्ल्ड क्लास सुविधाओं के बारें में...

री-डेवलपमेंट में इतना खर्चा
हबीबगंज रेलवे स्टेशन को बनाने में लगभग 450 करोड़ रुपए खर्च किया गया है। स्टेशन के रिकंस्ट्रक्शन पर 100 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, वहीं कॉमर्शियल डेवलपमेंट के लिए 350 करोड़ खर्च किए गए हैं। स्टेशन को इस तरह से बनाया गया है कि यहां यात्रियों को हर तरह की सेफ्टी, सिक्योरिटी और फैसिलिटी मिल सके। 

री-डेवलपमेंट के बाद बदला स्टेशन
हबीबगंज रेलवे स्टेशन री-डेवलपमेंट के बाद काफी बदल गए हैं। स्टेशन की बिल्डिंग कांच के गुंबद जैसी संरचना के आकार में दिख रहा है। स्टेशन पर अब हर जगह कैमरों की नजर रहेगी। कोई भी ब्लाइंड स्पॉट नहीं होगा। सुरक्षा के लिहाज से पूरे स्टेशन पर 162 हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगाए गए हैं। महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। शाम के समय लाइटिंग के बाद स्टेशन की नई बिल्डिंग काफी आकर्षक दिखती है। यहां कॉन्कोर्स (बड़े वेटिंग एरिया) से लेकर वेटिंग एरिया और प्लेटफॉर्म तक 1200 से ज्यादा यात्रियों के बैठने की जगह है।

मध्यप्रदेश की दिखेगी झलक
इस रेलवे स्टेशन में मध्यप्रदेश के पर्यटन और दर्शनीय स्थलों, जैसे भोजपुर मंदिर, सांची स्तूप और भीमबैठका के चित्र प्रदर्शित होंगे। स्‍टेशन के मेन गेट के अंदर दोनों ओर की दीवारों पर भील, पिथोरा पेंटिंग्स भी होंगे। जनजा‍तीय शिल्‍पकला पेपरमेशी से बनाए गए जनजातीय मुखौटे को मुख्य गेट के सामने की वॉल पर लगाया गया है। फर्स्‍ट फ्लोर पर वेटिंग रूम में टूरिस्ट इंफॉर्मेशन लाउंज में एक बड़ी LED स्क्रीन इंस्‍टाल की गई है। जिससे यात्रियों और पर्यटकों को प्रदेश के पर्यटन स्‍थलों की संपूर्ण जानकारी मिल सकेंगी।

रोजाना 40 हजार यात्रियों का ट्रैफिक
जर्मन हेडलबर्ग रेलवे स्टेशन की तरह री-डेवलप किए गए हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर रोजाना 40 हजार यात्रियों का आना-जाना होगा, वहीं हेडलबर्ग की बात करें तो वहां हर रोज करीब 42 हजार यात्री आते हैं। हबीबगंज में रोजाना करीब 80 जोड़ी ट्रेनों को स्टॉपेज दिया जाएगा। कोविड से पहले तक यहां हर रोज 54 जोड़ी ट्रेनों का संचालन होता था और करीब 25 हजार लोगों की आवाजाही हो रही थी। फिलहाल अभी 22 जोड़ी ट्रेनों का संचालन हो रहा है।

अंडरग्राउंड सब-वे से एक साथ गुजरेंगे 1500 यात्री
हबीबगंज स्टेशन पर आने वाले करीब 1500 यात्री एक साथ अंडरग्राउंड सब-वे से गुजर सकेंगे। स्‍टेशन में ऐसे दो सब-वे बनाए गए हैं। भीड़ के दबाव को भी कम किया जा सकेगा। स्टेशन में एक नंबर प्लेटफार्म की तरफ से एंट्री ग्लास डोम वाले चमचमाते गेट से होगी। एक प्लेटफॉर्म पर एक समय पर 2 हजार यात्री ट्रेनों का इंतजार कर सकेंगे। 36 मीटर ऊंची बिल्डिंग में 2500 से अधिक यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है।

पैसेंजर सेग्रीगेसन की सुविधा
स्टेशन को पैसेंजर सेग्रीगेसन प्रिंसिपल पर डिजाइन किया गया है। इसका मतलब है कि यहां पर यात्रियों के आने और जाने की व्यवस्था अलग-अलग रखी गई है, जिससे स्टेशन पर भीड़ न हो और किसी को कोई परेशानी भी न आए। 

बैठने से लेकर एंटरटेनमेंट तक की सुविधा
स्टेशन के सभी पांचों प्लेटफार्म को एस्कलेटर और सीढ़ियों के जरिए जोड़ा गया है। यह वह एरिया है, जिसमें ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन के दोनों गेट नंबर-1 और 5 नंबर की तरफ से स्टेशन आने वाला यात्री बैठेगा और अपनी ट्रेन का इंतजार करेगा। मनोरंजन के लिए गेमिंग जोन डेवलप किया गया है। ट्रेन का अनाउंसमेंट होने के साथ ही यात्री अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए एस्कलेटर और सीढ़ियों के ज़रिए आसानी से अपने-अपने प्लेटफॉर्म चले जाएंगे। 

लाइट पर मौसम बेअसर होगा
स्‍टेशन में एक ग्रीन बिल्डिंग होगी यानी इस इमारत में ऊर्जा की कम खपत करने वाली LED लाइट्स लगाई गई हैं। ये सभी आउटर ग्रेड की आईपी-65 ग्रेड की लाइटें हैं। ये लाइट्स रात को मौसम से प्रभावित नहीं होंगी। बारिश और तेज हवाओं का इस पर प्रभाव नहीं होगा। स्टेशन दिन में प्राकृतिक रोशनी से जगमगाएगा। 

स्टेशन एक नजर में

  • स्टेशन परिसर का एरिया 23 हजार वर्ग मीटर है। 17 हजार वर्ग मीटर जमीन कमर्शियल उपयोग के लिए है।
  • इस जमीन पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, हॉस्पिटल, सिनेमा, होटल और दुकानें बन रही हैं। डेवलपर का 45 साल तक यह जमीन लीज पर दी गई है।
  • डेवलपर को यात्री सुविधा वाले हिस्सों की देखरेख और रखरखाव पांच साल तक करना होगा।
  • प्लेटफॉर्म-1 की तरफ 210 फोर ह्वीलर और 600 टू ह्वीलर और प्लेटफॉर्म-5 की ओर 90 फोर ह्वीलर और 250 टू ह्वीलर पार्किंग की सुविधा है।
  • हर प्लेटफार्म पर 9 और कॉन्कोर पर 20 फूड स्टॉल। प्लेटफॉर्म-एक की तरफ 36 मीटर ऊंची बिल्डिंग में फूड कोर्ट।
  • स्टेशन पर 3 ट्रेवलेटर, 8 लिफ्ट, 12 एस्केलेटर, 120 इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले , 162 हाई रिजोल्यूशन कैमरे, 300 LED
  • स्टेशन पर 5 लाख लीटर पानी रोज लगेगा। इसमें से 3 लाख लीटर पानी फिल्टर होगा। 400 किलो कचरा हर रोज निकलेगा।
  • 500 किलोवॉट बिजली की जरूरत होगी। हर महीने 12 लाख रुपए का बिल आएगा।

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