सार
ISO प्रमाण पत्र हासिल करने वाला वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन हबीबगंज के आसपास की सुंदरता, यहां की हरियाली और झीलें इसकी सुंदरता को बढ़ा देती थी। अरबी भाषा में हबीब का अर्थ होता है प्यारा और सुंदर। भोपाल के नबाव की बेगम ने यहां की हरियाली और झीलों के बीच बसे इस रेलवे स्टेशन की सुंदरता को देखते हुए इसे हबीबगंज नाम दिया था।
भोपाल : मध्यप्रदेश (madhya pradesh) की राजधानी भोपाल (bhopal) में देश का पहला वर्ल्ड क्लास हबीबगंज (Habibganj) रेलवे स्टेशन बनकर तैयार हो चुका है। इस स्टेशन पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, हॉस्पिटल, मॉल, स्मार्ट पार्किंग, हाई सिक्योरिटी समेत कई सुविधाएं मिलेंगी। 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra modi) इस स्टेशन का लोकार्पण करेंगे। इस कार्यक्रम से पहले आइए आपको बताते हैं कि कब हुई थी इस स्टेशन की शुरुआत, कैसे पड़ा इसका नाम और एक सामान्य रेलवे स्टेशन से वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन तक का सफर...
कब बना था हबीबगंज स्टेशन?
16 अप्रैल 1853 बॉम्बे से 14 कोच और 400 पैसेंजर के साथ भारत की पहली ट्रेन ठाणे के लिए रवाना हुई। इस ट्रेन ने 34 किलोमीटर की दूरी तय की। इसके बाद भारत ने नए युग की ओर पहला कदम तब रखा जब उसने स्टीम इंजनों का निर्माण शुरू हुआ। राजपूताना मालवा के अजमेर वर्कशॉप में पहला स्टीम लोको नंबर F-734 1895 बनाया गया था। बाद में बढ़ती जरुरतों को महसूस करते हुए 1901 में रेलवे बोर्ड का गठन किया गया। आजादी के बाद बड़े शहरों को जोड़ने के लिए कई लाइनों को री-रूट किया गया और नई लाइनें बनाई गईं। भारत की 42 रियासतों के स्वामित्व वाले रेलवे को जोड़कर इंडियन रेलवे (indian railway) का गठन हुआ। 1947 में आजादी के बाद भारतीय रेल का 55 हजार किलोमीटर का नेटवर्क था। 1952 में मौजूदा रेल नेटवर्क को एडमिनिस्ट्रेटिव पर्पज के लिए 6 जोन में डिवाइड किया गया। इसके बाद कई स्टेशन बनाए गए जिनमें हबीबगंज भी शामिल था। 1979 में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया।
कैसे पड़ा हबीबगंज का नाम?
अंग्रेजों ने साल 1905 में इस जगह को बनाया था। हबीबगंज का नाम हबीब मियां के नाम पर रखा गया था, पहले इसका इसका नाम शाहपुर था। हबीब मियां ने 1979 में स्टेशन के विस्तार के लिए अपनी जमीन दान में दी थी। इसके बाद इसका नाम हबीबगंज रखा गया। उस समय आज के एमपी नगर का नाम गंज हुआ करता था और तब दोनों को जोड़कर हबीबगंज रखा गया।
क्या है हबीब का अर्थ?
ISO प्रमाण पत्र हासिल करने वाला वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन हबीबगंज के आसपास की सुंदरता, यहां की हरियाली और झीलें इसकी सुंदरता को बढ़ा देती थी। अरबी भाषा में हबीब का अर्थ होता है प्यारा और सुंदर। भोपाल के नबाव की बेगम ने यहां की हरियाली और झीलों के बीच बसे इस रेलवे स्टेशन की सुंदरता को देखते हुए इसे हबीबगंज नाम दिया था।
मॉडर्नाइजेशन का पहला कॉन्ट्रैक्ट कब हुआ
14 जुलाई 2016 की तारीख भारतीय रेल के लिए ऐतिहासिक दिन था। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत इंडियन रेलवे ने 1979 में तैयार हुए हबीबगंज स्टेशन के मॉडर्नाइजेशन के लिए पहला कॉन्ट्रैक्ट किया। 5 सालों तक चले मॉडर्नाइजेशन प्रोजेक्ट के बाद जुलाई 2021 में हबीबगंज स्टेशन बनकर तैयार हो गया। इस स्टेशन में वर्ल्ड क्लास सुविधाएं है जिसके लिए करीब 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यात्रियों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसे ध्यान में रखते हुए सुविधाएं देने की कोशिश की गई है। आने वाले समय में स्टेशन को ब्रिज के जरिए तैयार हो रहे मेट्रो स्टेशन से भी जोड़ा जाएगा।
किससे हुआ करार?
हबीबगंज रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करने के लिए भारतीय रेलवे ने बंसल ग्रुप के साथ समझौता किया। तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु (Suresh Prabhu) की उपस्थिति में हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास और आधुनिकीकरण के लिए भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (IRSDC) और बंसल ग्रुप के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
कई बार बढ़ी डेडलाइन
हबीबगंज स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने का काम मार्च 2017 से शुरू हुआ था। इसे दिसंबर 2018 तक पूरे करने के दावे किए थे। दूसरी डेडलाइन जुलाई 2019 थी, तब भी काम पूरा नहीं हो सका था। फिर 31 दिसंबर 2019 तक काम पूरा करने का दावा किया गया, लेकिन काम तब भी पूरा नहीं हुआ। इसके बाद मार्च 2020 तक काम पूरा करने की डेडलाइन दी गई, लेकिन फिर भी काम पूरा नहीं हुआ और फिर कोरोना आ गया, जिसके कारण काम में देरी हुई।
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