सार
डॉक्टर मालवीय को दिन-रात डबल ड्यूटी करनी पड़ जाती है। लेकिन इसके बाद भी उनका हौसला कम नहीं होता। उन्होंने पिछले एक साल से एक भी कोई छुट्टी नहीं ली है। चाहे फिर कितनी ही इमरजेंसी क्यों ना हो। इतना ही नहीं कोरोना की पिछली लहर यानि साल 2020 में डॉक्टर मालवीय करीब चार महीने तक अपने घर तक नहीं गए थे।
भोपाल (मध्य प्रदेश). कोरोना वायरस की दूसरी लहर में हर तरफ खौफ और निराशा है। अगर किसी के परिवार का एक भी सदस्य संक्रमित हो जाए तो वह सारे-काम काज छोड़कर उसे ठीक कराने में लग जाता है। लेकिन भोपाल के एक डॉक्टर ने देश और समाज के सामने एक नई मिसाल पेश की है। जिसे जानकर सभी यह कह रहे हैं कि ऐसे ही डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। वह सिर्फ ना खुद पॉजिटिव हैं बल्कि उनके परिवार के 7 सदस्य कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपने फर्ज से कोई समझौता नहीं किया। वह दिन रात अस्पताल में ड्यूटी करके मरीजों की जान बचाने में जुटे हुए हैं।
4 कोविड वार्ड और 700 कोरोना मरीज इनके जिम्मे
दरअसल, इस मुश्किल घड़ी में सेवा कर रहे यह डॉक्टर राकेश मालवीय हैं, जो कि भोपाल के सबसे बड़े सरकारी हमीदिया अस्पताल में ड्यूटी करते हैं। वह अस्पताल के आपदा प्रबंधन को देख रहे हैं। साथ ही डॉक्टर मालवीय फिजियोथेरेपी विभाग को भी देखते हैं। इनके जिम्मे अस्पताल में 4 कोविड वार्ड हैं जिनमें करीब 700 कोरोना मरीज भर्ती हैं। वह पिछले एक साल से अस्पताल के चारों कोविड वार्डों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
पिछले एक साल से नहीं ली कोई छुट्टी
बता दें कि कई बार तो ऐसा भी हो जाता है कि डॉक्टर मालवीय को दिन-रात डबल ड्यूटी करनी पड़ जाती है। लेकिन इसके बाद भी उनका हौसला कम नहीं होता। उन्होंने पिछले एक साल से एक भी कोई छुट्टी नहीं ली है। चाहे फिर कितनी ही इमरजेंसी क्यों ना हो। इतना ही नहीं कोरोना की पिछली लहर यानि साल 2020 में डॉक्टर मालवीय करीब चार महीने तक अपने घर तक नहीं गए थे। वह यहीं मेडिकल कॉलेज के एक कमरे में सो जाया करते थे।
सामान्य मरीजों की तरह करते परिवार की देखभाल
डॉ. राकेश मालवीय के परिवार में उनके माता पिता, 2 भाई और 2 बच्चे के अलावा खुद भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। सभी 6 सदस्यों का इलाज भी हमीदिया अस्पताल में ही चल रहा है। वह चाहते तो किसी अच्छे प्राइबेट हॉस्पिटल में परिवार के लोगों को एमडिट कर सकते थे। लेकिन वह अपने फर्ज और नियम के पक्के हैं। इतना ही नहीं परिवार के लोगों की देखभाल भी वह अस्पताल में एक सामान्य मरीजों की तरह ही करते हैं। कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं देते।
'बच्चे कहते पापा इतना काम करने से क्या मिल जाएगा'
डॉक्टर ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि मेरे घरवाले खासकर बच्चे पूछते हैं पापा इतना काम क्यों करते हो। आपको ऐसा क्या मिलने वाला है, जो 12-12 घंटे की ड्यूटी करते हो। कई बार तो माता-पिता भी कहते हैं कि अपनी जान के साथ हमारी तो चिंता करो। लेकिन डॉक्टर मालवीय उनको समझाते हुए कहते हैं कि मुझे इससे कुछ नहीं मिलेगा। लेकिन मेरे वहां रहने से कई मरीजों की जान बचेगी। इस संकट में अगर हम ही घर बैठ जाएंगे तो वह किसके भरोसे पर अस्पताल आकर इलाज कराएंगे।