सार

19 अप्रैल को मां चल बसी तो 20 अप्रैल को बड़ी बेटी और उसके तीन दिन बाद 23 अप्रैल को छोटी की सासें थम गईं। अब आलम यह है कि जोशी परिवार में अपनी मां और दो बहनों को खो चुका 22 वर्षीय बेटा ही अकेला बचा है। वह भी संक्रमित था, लेकिन हाल ही उसकी दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आई है। 

उज्जैन( मध्य प्रदेश). कोरोना की दूसरी लहर से हालात दिनों दिन बदतर होते जा रहे हैं। महामारी काल बनकर हंसते-खेलते परिवार के परिवार उजाड़ते चली जा रही है। आलम यह हो गया है कि कुछ परिवारों तो कोई रोने वाला तक नहीं बचा है। ऐसी ही एक झकझोर कर देने वाली खबर मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से सामने आई है। जहां कोरोना की चपेट में आने से पांच दिन के अदंर मां के साथ ही दोनों बेटियों की भी मौत हो गई।

मां की सेवा करने आईं थी बेटियां..लेकिन वह भी नहीं बचीं
दरअसल, यह दर्दनाक घटना उज्जैन के महामृत्युंजय द्वार के पास संध्या जोशी के घर में घटी है। जहां 55 वर्षीय संध्या जोशी को ले में खराश और सर्दी थी। अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी तो परिवार के लोगों ने उन्हें आरडी गार्डी कोविड अस्पताल में भर्ती कराया। मां की हालत बिगड़ते देख और अपने भाई अकेला समझ उसकी मदद करने के लिए  दोनों बेटी 35 वर्षीय श्वेता नागर और 34 वर्षीय नम्रता मेहता अपने अपने ससुराल इंदौर से मां की सेवा के लिए उज्जैन आ गईं। 

ऐसे 5 दिन में तबाह हो गया पूरा परिवार
मां की सेवा करते करते दोनों बेटियां कब संक्रमित हो गईं उनको पता भी नहीं चला। जिसके बाद तेजनकर अस्पताल में श्वेता को भर्ती कराया, वहीं नम्रता को भी दूसरे अस्पताल में एडमिट कराया। इसके बाद 19 अप्रैल को मां चल बसी तो 20 अप्रैल को बड़ी बेटी और उसके तीन दिन बाद 23 अप्रैल को छोटी की सासें थम गईं। अब आलम यह है कि जोशी परिवार में अपनी मां और दो बहनों को खो चुका 22 वर्षीय बेटा ही अकेला बचा है। वह भी संक्रमित था, लेकिन हाल ही उसकी दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आई है। जबकि परिवार के मुखिया एमपीईबी से रिटायर्ड कर्मचारी रंजन जोशी की मौत पहले ही हो चुकी थी।