सार

मध्य प्रदेश के मंडला जिले में तीन दिन के लिए गोलगप्पा बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इतना हीं जिसने बेचा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एक के खिलाफ तो एफआईआर तक दर्ज कर ली गई है। क्योंकि शहर में एक साथ 84 लोगों की पानीपुरी खाने से बीमार पड़ गए थे। जिसको लेकर जिला कलेक्टर ने सख्त नियम निकाल दिए हैं।

 

मंडला (मध्य प्रदेश). पानीपुरी या गोलगप्पे का नाम सुनते ही  हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है। खासकर महिलाएं और लड़कियां तो गोलगप्पे की इस कदर दीवानी हैं कि वह रोजाना इसे खाती हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के मंडला जिले में कुछ लोगों के लिए यही पानीपुरी जी का जंजाल बन गया। जिसे खाते ही दर्जनों लोगों की हालत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। इस खबर से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया और अब पूरे जिले में तीन के लिए गोलगप्पा बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इतना हीं जिसने बेचा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एक के खिलाफ तो एफआईआर तक दर्ज कर ली गई है।

एक साथ 84 लोगों की बिगड़ी तबीयत
दरअसल, मंडला जिला अस्पताल में 23 अक्टू्बर को अचानक 84 लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जिसमें कुछ बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। इन्हें उल्टी-दस्त की शिकायत थी। जब पुलिस ने बयान लिए तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। सभी ने एक ही सुर में कहा कि उनकी तबीयत बिगड़ने के पीछे की वजह पानीपुरी खाना है। इन लोगों ने कहा कि सभी ने उनके इलाके में गोलगप्पे बेचने आए  युवक से गोलगप्पे खाए थे। इनके खाते ही कुछ देर बाद उनकी हालत बिगड़ गई। 

 प्रशासन की गाइडलाइन के मुताबिक बेचनी पड़ेंगी पानीपुरी
वहीं मामला पुलिस और प्रशासन तक पहुंच गया। इसके बाद बीती 23 अक्टूबर को मंडला के अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने तीन दिन यानि 27 अक्टूबर तक जिले में पानीपुरी बेचने का  प्रतिबंध लगा दिया। यह नियम सभी तरह के चाट-फुल्की बेचने पर लागू होगा। यानि अब 28 अक्टूबर से ही प्रशासन की गाइडलाइन के मुताबिक ही वो लोग अपनी दुकान खोल पाएंगे।

कलेक्टर ने दिए सख्त आदेश
वहीं इस पूरे मामले पर मंडला जिले के कलेक्टर हर्षिका सिंह का कहना है कि पानीपुरी खाने के बाद दर्जनों लोगों की तबीयत बिगड़ गई। जिसमें कुछ छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। जिन-जिन गोलगप्पे के खाने से लोग बीमार हुए हैं उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उनके माल की जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही उन्हें परमिशन दी जाएगी। क्योंकि यह स्वास्थय से जुड़ा है। इसलिए यह गंभीर मुद्दा है।