सार
दशहरे के दिन महाराष्ट्र के ऐसे गांव के बारे में जानिए जहां रावण का पुतला दहन करने का बजाए दशहरे के दिन उनकी आरती उतारते है। उनका मानना है कि उनकी ही कृपा से गांव के लोग अपनी जीविका चला रहे है। वे भगवान राम के साथ रावण पर भी विश्वास करते है।
अकोला ( महाराष्ट्र). विजय दशमी के दिन पूरे देश में रावण पर राम की जीत के पर्व के तौर पर मनाया जाता है। साथ ही रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते है, लेकिन देश महाराष्ट्र के अकोला जिले में एक गांव ऐसा है जहां रावण को राजा माना जाता है। गांव के निवासी दशहरा को एक अलग तरीके से मनाते है, क्योंकि वे देश के अन्य हिस्सों में राक्षस राजा के रावण के पुतले जलाने की बजाए उसकी आरती उतारते है। गांव के लोगों द्वारा पिछले 300 वर्षों से गांव में चली आ रही है।
गांव में राक्षस राजा रावण की 'आरती' करते है लोग
दरअसल अकोला जिले के संगोला गाँव के कई निवासियों का मानना है कि वे रावण के आशीर्वाद के कारण नौकरी करते हैं और अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हैं और उनके गाँव में शांति और खुशी राक्षस राजा की वजह से है। स्थानीय लोगों का दावा है कि रावण को उसकी "बुद्धि और तपस्वी गुणों" के लिए पूजा करने की परंपरा पिछले 300 वर्षों से गांव में चल रही है। इसके चलते ही गांव के केंद्र में 10 सिरों वाले दानव राजा की एक लंबी काले पत्थर की मूर्ति है।
भगवान राम के साथ रावण पर भी विश्वास
वहां के रहने वाले भिवजी ढाकरे ने बताया कि गांव के लोग भगवान राम में विश्वास करते है, लेकिन उन्हें रावण में भी विश्वास है और उनका पुतला नहीं जलाया जाता है। दशहरे के दिन यहां रावण पूजा में देशभर से हजारों की संख्या में पर्यटक इस छोटे से गांव में एक झलक पाने के लिए पहुंचते है। कुछ लोग तो वहां उनकी पूजा भी करते है।
बुद्धि और समृद्धि के प्रतीक है रावण
गांव में रावण मंदिर के पुजारी हरिभाउ लखड़े ने बताया कि देश के बाकी लोग भले ही रावण के पुतले जलाते है, जो कि बुराई की अच्छाई पर जीत का प्रतीक है,पर संगोला गांव के लोग उनकी पूजा बुद्धि और तपस्वी गुणों वाले लंका के राक्षस राजा रावण की पूजा करते है। लखडे़ ने कहा कि खुद उनका परिवार भी लंबे से रावण की पूजा कर रहा है और बताया कि उनकी वजह से गांव से सुख, शांति और संतोष विद्वान राजा रावण की वजह से ही है।
राजनीतिक कारणों से किया किडनैप
राक्षस राज रावण की पूजा करने वाले संगोला गांव के निवासी सुबोध हटोले ने बताया कि महात्मा रावण के आशीर्वाद से आज इस गांव में कई लोग काम काज कर रहे है, जिससे उनकी जीविका चलती है। गांव के लोग दशहरे के दिन रावण की महा-आरती के साथ उनकी प्रतिमा की पूजा करते है। इसके साथ ही गांव के बुद्धिजीवी भिवाजी ढाकरे ने बताया कि गांव के कुछ ग्रामीण रावण को विद्वान मानते हैं और उनका मानना है कि उन्होंने राजनीतिक कारणों से सीता का अपहरण किया और उनकी पवित्रता को बनाए रखा।
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