सार
Shiv Sena Election symbol battle: बाल ठाकरे की शिवसेना दो गुटों में बिखर चुकी है। महाराष्ट्र में दशकों से सत्ता की चाबी को अपने पास रखने वाले ठाकरे परिवार की पकड़ सूबे की राजनीति में कमजोर पड़ चुकी है। बाला साहेब के नाम पर राजनीति शुरू करने वालों ने ही उनके बेटे को खुली चुनौती दे रखी है। आलम यह कि पार्टी भी हाथ से निकलती दिख रही है।
मुंबई। शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर उद्धव ठाकरे का हक होगा या एकनाथ शिंदे गुट को इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत किया जाएगा, चार सप्ताह बाद इसका फैसला हो जाएगा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सेना के चुनाव चिन्ह पर अपना दावा किया है और संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए चार सप्ताह की मोहलत भी ली है। दरअसल, चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे व एकनाथ शिंदे गुट से धनुष और तीर चुनाव चिन्ह पर उनके दावों के समर्थन में दस्तावेज मांगे थे। आयोग ने दोनों को 8 अगस्त तक की डेडलाइन दी थी। पिछले महीने, चुनाव आयोग ने ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों से कहा था कि वे शिवसेना के चुनाव चिन्ह- धनुष और तीर पर अपने दावों के समर्थन में 8 अगस्त तक दस्तावेज जमा करें।
ठाकरे गुट ने क्या बताया मोहलत मांगने की वजह?
शिवसेना में उद्धव ठाकरे के सहयोगी अनिल देसाई ने बताया कि हमने चुनाव आयोग से चार सप्ताह का समय मांगा है क्योंकि बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। इसलिए पहले याचिकाओं पर फैसला होने दें और इस पर बाद में फैसला किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट शिंदे की याचिका पर फैसला न करने का दिया है निर्देश
4 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह एकनाथ शिंदे गुट की याचिका पर अभी के लिए कोई त्वरित कार्रवाई न करे कि इसे असली शिवसेना माना जाए और पार्टी का चुनाव चिन्ह- धनुष और तीर दिया जाए। दरअसल, चुनाव आयोग ने दस्तावेज जमा करने को कहा था, जिसमें शिवसेना के विधायी और संगठनात्मक विंग से समर्थन पत्र और प्रतिद्वंद्वी गुटों के लिखित बयान शामिल थे। आवश्यकताओं को चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 15 के अनुरूप बनाया गया था।
शिंदे गुट ने चुनाव चिन्ह के लिए आयोग में किया दावा
इस हफ्ते की शुरुआत में शिंदे धड़े ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पार्टी के 'धनुष और तीर' का चुनाव चिन्ह आवंटित करने की मांग की थी, जिसमें उन्हें लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में मान्यता दी गई थी।
शिवसेना के अधिकांश विधायक-सांसद शिंदे के साथ
शिवसेना पिछले महीने विभाजित हो गई जब शिंदे के नेतृत्व में पार्टी के 55 विधायकों में से दो-तिहाई से अधिक ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। शिंदे ने 30 जून को भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। पिछले महीने, लोकसभा में शिवसेना के 18 सदस्यों में से कम से कम 12 ने फ्लोर लीडर विनायक राउत पर 'अविश्वास' व्यक्त किया था और राहुल शेवाले को अपना फ्लोर लीडर घोषित किया था। इसके बाद, लोकसभा अध्यक्ष ने शेवाले को नेता के रूप में मान्यता दी।
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