सार
राज ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति में कभी कद्दावर नाम हुआ करता था। माना जाता था कि बाला साहेब ठाकरे की विरासत वे ही संभालेंगे। शिवसेना के उत्तराधिकारी वे ही होंगे, मगर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें पार्टी ही नहीं परिवार से भी बाहर कर दिया गया।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति में र से शुरू होने वाले नाम या फिर टाइटल उद्धव सरकार के लिए मुसीबत के लिए का सबब बने हुए हैं। राज ठाकरे, रवि राणा और उनकी पत्नी नवनीत राणा, कंगना रनौत, नितेश राणे जब तब महाराष्ट्र सरकार को किसी न किसी वजह से चुनौती देते रहे हैं। इन दिनों राज ठाकरे ज्यादा चर्चा में हैं और उनका चर्चा में रहना इसलिए भी खास हो जाता है, क्योंकि राज ठाकरे कभी बाला साहेब ठाकरे के उत्तराधिकारी माने जाते थे, मगर अचानक वह शिवसेना से बाहर कर दिए गए और उनके राजनीतिक करियर का अवसान शुरू हो गया।
यह बात अलग है कि वे एक बार फिर इन दिनों हनुमान चालीसा के जरिए अपने करियर को धक्का लगाकर स्टार्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। मगर यह बात किसी से छिपी नहीं है कि राज राजनीति के सबसे बड़े पलटूराम में से एक हैं और शायद इसीलिए वह अभी तक कोई ठोस मुकाम हासिल नहीं कर पाए। राजनीति में वे मजबूत दोस्त नहीं बना पाए, क्योंकि आज जिसकी तारीफ करते हैं, कल उसी की बुराई कर देते हैं। ऐसे में माना जाता है कि वे किसी के सगे नहीं हैं।
राजनीतिक स्टैंड लगातार बदलते रहे
राज ठाकरे एक बार फिर अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को मजबूत करने में जुटे हैं। इस बार फिर वे हिंदुत्व का चोला ओढ़ रहे हैं और मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग कर रहे हैं। शिवसेना से हटाए जाने के बाद राज ठाकरे ने 2006 में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना यानी मनसे का गठन किया। वे अपना स्टैंड लगातार बदलते रहे और संभवत: इसलिए उन्हें राजनीतिक कामयाबी नहीं मिल सकी।
प्रधानमंत्री की कभी तारीफ तो कभी तीखी आलोचना
राज ठाकरे प्रधानमंत्री मोदी के कभी जबरदस्त फैन हुआ करते थे। खासकर, मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब वे उनकी जमकर तारीफ करते थे। 2011 में गुजरात दौरा कर वे वहां विकास के मॉडल को देखने गए। तब वे वहां 9 दिन तक रूके भी थे। इसके बाद 2014 से उन्होंने मोदी की आलोचना शुरू कर दी और अब भी अक्सर आलोचना करते रहते हैं।
मराठी मानुष शरद पवार से प्रेम, राहुल के भी करीब
राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद राज ठाकरे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार से जब तब अपना प्रेम प्रदर्शित करते रहते हैं। ऐसे कोई यह नहीं समझ पाता कि वे अपनी प्रतिद्वंद्वी से प्रेम करेंगे तो उनके विरुद्ध चुनाव में कैसे उतरेंगे। लोगोंं की आशंका सही साबित हुई और शरद पवार ने खुद कुछ चुनाव में एनसीपी का प्रचार किया। इसके अलावा, माना जाता है कि वह राहुल गांधी के करीब हैं। ऐसे में वे कांग्रेस के विरोध में नहीं बोलते। इससे प्रसंशक यह नहीं समझ पाते कि कभी शरद पवार और कांग्रेस को मुस्लिम परस्त बोलने वाले राज ठाकरे आखिर क्यों उनका प्रचार करते नहीं थकते।
पत्नी ने सुहागरात पर पतिदेव को सैंडल से पीटा और भाग गई मायके, बत्ती-पानी कनेक्शन भी कराया गुल!
भयंकर गर्मी में दुल्हन से जयमाल स्टेज पर हुई एक गलती, दूल्हे ने भी गुस्से में तुरंत ले लिया बदला
'है मामला सनसनीखेज.. बाहर मत जाना', टीचर के इस टिप्स में है गर्मी से बचने का महामंत्र,
लोग कुत्ते-बिल्ली पालते हैं इस शख्स ने पाली खतरनाक मकड़ी, छिपकली तक खा जाती है