सार
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Param Bir Singh) करीब 7 महीने बाद मुंबई (Mumbai) पहुंच गए हैं। सिंह को मुंबई की एक कोर्ट ने 100 करोड़ की रंगदारी वसूलने के मामले में 'भगोड़ा' घोषित कर रखा है। सिंह ने आज कहा है कि वे जांच में सहयोग देने वाले हैं और उन्हें देश की न्यायपालिका में भी पूरा विश्वास है।
मुंबई। पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Param Bir Singh) करीब 7 महीने के बाद गुरुवार को मुंबई (Mumbai) पहुंच गए हैं। यहां महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की मांग पर एक कोर्ट ने 100 करोड़ की वसूली के मामले में उन्हें भगोड़ा घोषित कर रखा है। हाल ही में कोर्ट ने परमरबीर की गिरफ्तारी पर कोर्ट लगा दी थी। इससे पहले सिंह के चंडीगढ़ में होने की जानकारी सामने आई थी। उन्होंने कहा था कि मैं चंडीगढ़ में हूं और कोर्ट के आदेश के हिसाब से आगे कदम उठाऊंगा। गुरुवार को मुंबई पहुंचकर सिंह ने कहा कि वे जबरन वसूली मामले की जांच में पूरा सहयोग देने वाले हैं। वे अभी के लिए ज्यादा कुछ शेयर नहीं कर सकते हैं, लेकिन उन्हें देश की न्यायपालिका में विश्वास है। उन्हें उम्मीद है कि उन्हें न्याय दिया जाएगा।
दरअसल, मुंबई पुलिस ने हाल ही में एस्प्लेनेड कोर्ट में परमबीर सिंह को भगोड़ा अपराधी घोषित करने के लिए आवेदन दिया था। कोर्ट ने इस मांग को स्वीकार करते हुए परमबीर सिंह को भगोड़ा घोषित कर दिया है। इस पूरे मामले की मुंबई पुलिस की अपराध शाखा जांच कर रही है। उसने ये कहते हुए भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी परमबीर सिंह को ‘भगोड़ा घोषित’ किए जाने का अनुरोध किया था कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद भी कुछ पता नहीं चल रहा है।
मामले को सीबीआई को ट्रांसफर किया जाए: परमबीर
बता दें कि 100 करोड़ की वसूली मामले में परमबीर सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। हाल ही में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की और कोर्ट से मांग की थी कि उनके खिलाफ दर्ज सभी केसों को रद्द किया जाए या सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया जाए। इस मांग पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया और साथ ही उनकी गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी। कोर्ट ने परमबीर से जांच में सहयोग करने के लिए कहा है।
परमबीर ने कहा था- मुंबई में उन्हें जान का खतरा...
18 नवंबर को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया था। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने परमबीर के वकील से पूछा था- ‘सबसे पहले हमें यह बताइए कि वह कहां हैं? देश में हैं या बाहर फरार हो गए हैं? इस जानकारी के बिना मामले पर सुनवाई नहीं हो सकती।’ उसके बाद 22 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई तो परमबीर के वकील पुनीत बाली ने कोर्ट में बताया कि ‘मेरी उनसे खुद बात हुई है। वह भारत में ही हैं, लेकिन मुंबई में उनकी जान को खतरा है। ऐसे में वे वहां नहीं आ सकते।’सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी और जांच में शामिल होने का निर्देश दिया था।
ये है मामला
बता दें कि 22 जुलाई को मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन ने परमबीर सिंह समेत पांच पुलिसकर्मियों और दो अन्य लोगों के खिलाफ एक बिल्डर से कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये मांगने के आरोप में केस दर्ज किया था। आरोप के मुताबिक, परमबीर सिंह समेत अन्य पुलिसकर्मियों ने एक-दूसरे की मिलीभगत से शिकायतकर्ता के होटल और बार के खिलाफ कार्रवाई का डर दिखाकर 11.92 लाख रुपये की उगाही की थी। परमबीर को इस साल मई के बाद से मुंबई में नहीं देखा गया था। परमबीर मुंबई में ना तो अपने घर पर थे और ना ही होमटाउन चंडीगढ़ में ही उनका कोई सुराग मिल पाया।