सार
कोरोना संक्रमण को काबू करने में विफल साबित हो रहे महाराष्ट्र में अस्पतालों के भी हाल बेहाल हैं। खराब स्वास्थ्य सेवाओं के चलते यहां के एक परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिवार की दो महिलाओं की मौत हो चुकी है। वहीं, मुखिया गंभीर हालत में जलगांव के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। बता दें कि महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या 91 हजार के करीब पहुंचने वाली है। हालांकि इसमें से 42 हजार से ज्यादा रिकवर हो चुके हैं। लेकिन 3000 से ज्यादा की मौत हो चुकी है।
जलगांव, महाराष्ट्र. कोरोना संक्रमण को लेकर जो लोग लापरवाही बरत रहे हैं, उनके लिए यह खबर एक गंभीर चेतावनी है। जो परिवार इसकी चपेट में है, उन्हें देखिए कि किस तरह जिंदगी बर्बाद हो गई है। कोरोना संक्रमण को काबू करने में विफल साबित हो रहे महाराष्ट्र में अस्पतालों के भी हाल बेहाल हैं। खराब स्वास्थ्य सेवाओं के चलते यहां के एक परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिवार की दो महिलाओं की मौत हो चुकी है। वहीं, मुखिया गंभीर हालत में जलगांव के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। बता दें कि महाराष्ट्र में संक्रमितों की संख्या 91 हजार के करीब पहुंचने वाली है। हालांकि इसमें से 42 हजार से ज्यादा रिकवर हो चुके हैं। लेकिन 3000 से ज्यादा की मौत हो चुकी है।
बुजुर्ग की अंतिम क्रिया में कोई नहीं हो सका शामिल..
कोरोना संक्रमण को लेकर महाराष्ट्र के अस्पतालों की अव्यवस्थाएं अब लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ने लगी हैं। यह मामला जलगांव का है। यहां 9 दिनों के अंदर एक ही परिवार की दो महिलाओं की मौत हो गई। वहीं घर का मुखिया प्राइवेट हास्पिटल में इलाज करा रहा है। इस घटना की विस्तृत रिपोर्ट एक अंग्रेजी अखबार ने प्रकाशित की है। इसके अनुसार 32 साल के हर्षल नेहटे ने बताया कि उनकी मां आईसीयू में बेड का इंतजार करते-करते मर गईं। उन्हें 6 घंटे बेड का इंतजार करना पड़ा। हर्षल ने बताया कि उनकी 80 वर्षीय दादी को एक जून को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन जांच कोरोना निकलने पर वे 2 जून को अस्पताल से गायब हो गईं। इसकी परिजनों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 8 दिनों बाद उनकी दादी अस्पताल के बाथरूम में मरी मिलीं। उनकी लाश सड़ चुकी थी। परिजन उनकी अंतिम क्रिया में भी शामिल नहीं हो सका।
दिल में बैठा डर
एक कंपनी में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव हर्षल पुणे में रहते हैं। उनकी पत्नी 9 महीने की प्रेग्नेंट हैं। हर्षल ने कहा कि सरकारी नियमों के कारण उन्हें अपनी मां और दादी को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसके लिए जिम्मेदार कौन है? हर्षल पूरे घटनाक्रम को बताते हुए कांप उठते हैं।
उधर, जलगांव के डीएम अविनाश डांगे ने इस मामले को बेहद गंभीर माना है। उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल के बाथरूम दिनभर में 2-3 बार साफ किए जाते हैं, फिर किसी महिला की लाश उसमें पड़ी रही, किसी ने देखा कैसे नहीं? इस मामले में बुधवार देर रात हॉस्पिटल के पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया। इनमें डीन डॉ. बीएस खैरे भी शामिल हैं। वहीं, मेडिकल एजुकेशन के सचिव संजय मुखर्जी ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है।
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