सार

अमरावती में मेडिकल चलाने वाले उमेश कोल्हे की हत्या में आए दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। मृतक उमेश कोल्हे के भाई महेश कोल्हे के मुताबिक, इस हत्याकांड में शामिल यूसुफ उमेश कोल्हे का जिगरी दोस्त था। यहां तक कि जब अपनी बहन की शादी के लिए यूसुफ के पास पैसे नहीं थे, तब उमेश ने ही उसकी मदद की थी।

Umesh Kolhe Murder: अमरावती के दवा व्यापारी उमेश कोल्हे की हत्या में आए दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं। मृतक उमेश कोल्हे के भाई महेश कोल्हे ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि इस हत्याकांड में शामिल यूसुफ उमेश कोल्हे का दोस्त था। महेश के मुताबिक, बहन की शादी के लिए जब यूसुफ को रुपयों की जरूरत थी तो उमेश ने उसकी मदद भी की थी। लेकिन उसे क्या मालूम था कि वो जिसकी मदद कर रहा है, वहीं एक दिन उसकी हत्या में शामिल होगा। 

उमेश कोल्हे के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ था यूसुफ : 
उमेश कोल्हे के भाई महेश के मुताबिक, भाई का वेटेरनरी केमिस्ट का काम था, जबकि मुख्य आरोपी यूसुफ वेटेरनरी अस्पताल में काम करता था। एक ही तरह के बिजनेस में होने की वजह से दोनों में अच्छी दोस्ती थी। यहां तक कि उमेश के अंतिम संस्कार में भी यूसुफ मौजूद था। 

सिफारिश कर यूसुफ के बच्चों को दिलवाया एडमिशन : 
महेश कोल्हे के मुताबिक, एक बार यूसुफ ने अपने बच्चों को एक मुस्लिम स्कूल में एडमिशन दिलाने के लिए उमेश को अपनी पहुंच का इस्तेमाल करने के लिए भी कहा था। बाद में उमेश की वजह से यूसुफ के बच्चों को उस स्कूल में एडमिशन भी मिल गया था। 

जिस दोस्त पर किया भरोसा, उसी ने दिया गहरा जख्म : 
महेश कोल्हे के मुताबिक, उमेश ने जिस दोस्त पर सबसे ज्यादा भरोसा किया, उसी ने गहरा जख्म दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, उमेश के गले पर जो जख्म मिला था, वो 5 इंच चौड़ा, 7 इंच लंबा और 5 इंच गहरा था। इतना ही नहीं, चाकू के हमले से उमेश के दिमाग, सांस नली और आहार नली भी डैमेज हो गई थीं। बता दें कि 54 साल के केमिस्ट उमेश कोल्हे की 21 जून को हत्या कर दी गई थी। इस केस में पुलिस ने अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनके नाम इरफान, मुदस्सिर अहमद, शाहरुख पठान, अब्दुल तौफिक, शोएब खान, अतिब रशीद और युसूफ खान हैं। 

क्या है पूरा मामला?
दरसअल, 54 साल के उमेश कोल्हे अमरावती में एक मेडिकल स्टोर चलाते थे। कहा जा रहा है कि उन्होंने कथित तौर पर नूपुर शर्मा के सपोर्ट में कोई पोस्ट शेयर की थी। उन्होंने इस पोस्ट को ब्लैक फ्रीडम नाम के वाट्सएप ग्रुप में डाल दिया था। इस ग्रुप में कुछ मुस्लिम भी थे। इसी ग्रुप में उमेश का दोस्त यूसूफ भी जुड़ा था। यूसूफ ने उमेश की इस पोस्ट को एक और ग्रुप में भेज दिया, जिसमें उनकी हत्या का मास्टरमाइंड इरफान खान भी जुड़ा था। बाद में इरफान खान ने ही उमेश की हत्या की साजिश रची। इसके बाद 21 जून को रात करीब साढ़े 10 बजे जब उमेश दुकान बंद कर घर जा रहे थे तो  बाइक से आए दो लोगों ने उनकी गर्दन पर चाकू से हमला कर जान ले ली। 

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