26/11 हमले के हीरोज में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, तुकाराम ओंबले, हेमंत करकरे, अशोक कामटे, विजय सालस्कर, गजेंद्र बिष्ट और आम नागरिक जैसे करमबीर कांग व मल्लिका जगद शामिल हैं। इन सबने अपने साहस और बलिदान से कई जिंदगियां बचाईं।

Mumbai Attack: 26/11 आतंकी हमले को 17 साल हो चुके हैं। 26 नवंबर के दिन 10 आतंकियों ने मुंबई में घुसकर पूरे शहर को दहला दिया था। हालांकि, आतंकियों से लोहा लेने में कई लोगों ने बहुत हिम्मत दिखाई थी। इनमें NSG के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के अलावा तुकाराम ओंबले, हेमंत करकरे, अशोक कामटे, विजय सालस्कर के अलावा कुछ सिविलयंस भी थे। जानते हैं 26/11 हमले के उन रियल हीरोज को, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी। इनमें से कई लोगों को उनके कामों के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।

1- मेजर संदीप उन्नीकृष्णन

NSG के मेजर उन्नीकृष्णन ताज महल पैलेस होटल में ऑपरेशन में तैनात 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप (51 SAG) के टीम कमांडर थे। वह होटल में घुसे, कई बंधकों को बचाया और घायल होने के बावजूद अकेले आतंकवादियों से लड़ते रहे। मेजर ने आतंकियों को दूसरी मंजिल तक खदेड़ा था। बुरी तरह घायल होने से पहले उन्होंने आतंकियों को घेर लिया था। अपनी टीम के लिए उनके आखिरी शब्द थे, "ऊपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा"।

2- तुकाराम ओंबले

मुंबई पुलिस के ASI तुकाराम ओंबले ने गिरगांव चौपाटी पर आतंकी आमिर अजमल कसाब समेत हथियारों से लैस 2 आतंकवादियों का सामना किया। उन्होंने कसाब की राइफल की बैरल अपने नंगे हाथों से पकड़ी। इस दौरान उन्हें कई गोलियां लगीं लेकिन वे डटे रहे, जिससे उनकी टीम कसाब को जिंदा पकड़ने में कामयाब रही। इस गिरफ्तारी से ही पता चला कि आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ था।

3- हेमंत करकरे

मुंबई एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) के चीफ हेमंत करकरे ने कामा हॉस्पिटल के पास ऑपरेशन को लीड किया, जहां उनका और उनके साथियों का आतंकवादियों से सामना हुआ। अजमल कसाब और अबू इस्माइल खान के हमले में उन्हें गोली लगी और वे बलिदान हो गए।

4- अशोक कामटे

एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस अशोक कामटे अपने निडर रवैये और बातचीत करने की स्किल के लिए जाने जाते थे। कामटे करकरे और सालस्कर के साथ थे और कामा हॉस्पिटल के पास उसी एनकाउंटर में वीरगति को प्राप्त हुए थे।

5- विजय सालस्कर

सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर एंटी-एक्सटॉर्शन सेल के हेड थे। वह भी करकरे और कामटे के साथ आतंकियों से लोहा लेते समय देश पर कुर्बान हो गए।

6- गजेंद्र सिंह बिष्ट

गजेंद्र सिंह बिष्ट 51 SAG के साथ एक NSG कमांडो और हवलदार (सार्जेंट) थे। नरीमन हाउस में ऑपरेशन के दौरान उन्होंने बंधकों को बचाने के लिए अपनी टीम को लीड किया और एक ग्रेनेड से घायल हो गए। विष्ट तब तक लड़ते रहे, जब तक उन्होंने दम नहीं तोड़ दिया।

7- करमबीर सिंह कांग

आम सिविलियन और होटल स्टाफ ने भी लोगों की जानें बचाने में बहुत बहादुरी दिखाई। इनमें ताज होटल के जनरल मैनेजर, करमबीर सिंह कांग ने छठी मंजिल पर लगी आग में अपनी पत्नी और दो बेटों को खो दिया। फिर भी वह अपनी पोस्ट पर डटे रहे। उन्होंने स्टाफ और सिक्योरिटी फोर्सेस को सैकड़ों मेहमानों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद की।

8- मल्लिका जगद

ताज होटल में बैंक्वेट मैनेजर के तौर पर काम करने वाली 24 साल की मल्लिका जगद ने दरवाजे और लाइटें बंद करके लोगों को आर्मी के आने तक चुप रहने को कहा था। इस तरह उन्होंने असाधारण बहादुरी और नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए 60 से ज्यादा मेहमानों की जान बचाई थी।

9- थॉमस वर्गीस

ताज के वसाबी रेस्टोरेंट में एक सीनियर वेटर के रूप में काम करने वाले थॉमस वर्गीस ने खुद को सुरक्षित निकालने से पहले यह पक्का किया कि उनके सेक्शन के सभी मेहमान निकल जाएं। वह रेस्टोरेंट से निकलने वाले आखिरी व्यक्ति थे, लेकिन एक गली में आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी।

10- मोहम्मद तौफीक

छोटू चाय वाला के नाम से मशहूर मोहम्मद तौफीक शेख उन खुशकिस्मत लोगों में से एक हैं, जो आतंकवादियों की गोली से बाल-बाल बच गए थे। तौफीक ने मुंबई के सीएसटी स्टेशन पर घायल लोगों को एक ठेले पर बिठाया और उन्हें सेंट जॉर्ज अस्पताल और भायखला रेलवे अस्पताल पहुंचाया था। इस तरह तौफीक ने कई लोगों की जान बचाई थी।