सार
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को एबीजी शिपयार्ड और उसके निदेशकों ऋषि अग्रवाल, संथानम मुथुस्वामी और अश्विनी कुमार के खिलाफ 28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी (bank fraud) का मामला दर्ज किया है। शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित हैं।
नई दिल्ली। एबीजीएसएल फॉड केस (ABG Shipyard Fraud case) में विपक्ष के केंद्र सरकार पर हमले का जवाब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण ने दी है। सीतारमण ने कहा कि एबीजी शिपयार्ड केस (ABG Shipyard) में कार्रवाई की जा रही है। एनडीए सरकार (NDA Government) ने बेहद कम समय में इस स्कैम का पता लगाकर कार्रवाई सुनिश्चित की है। उन्होंने बताया कि एबीजी शिपयार्ड का अकाउंट 2013 में ही एनपीए घोषित हो गया था।
विपक्ष लगातार हमलावर है केंद्र सरकार पर
एबीजी शिपयार्ड घोटाले में विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पांच साल तक चले इस घोटाले में देरी से कार्रवाई पर केंद्र सरकार पर विपक्ष ने घेरा है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि आश्चर्यजनक है कि पांच साल तक एबीजी शिपयार्ड घोटाला होता रहा और कार्रवाई नहीं की गई। पांच साल की देरी के बाद कार्रवाई किए जाने को लेकर केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए।
28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये की हुई है धोखाधड़ी
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को एबीजी शिपयार्ड और उसके निदेशकों ऋषि अग्रवाल, संथानम मुथुस्वामी और अश्विनी कुमार के खिलाफ 28 बैंकों से 22,842 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी (bank fraud) का मामला दर्ज किया है। एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड एबीजी समूह (ABG Group) की प्रमुख कंपनी है जो जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत में लगी हुई है। शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित हैं।
यह भी पढ़ें: ABG शिपयार्ड कंपनी और डायरेक्टर्स पर 28 बैंकों से 22,842 करोड़ धोखाधड़ी का आरोप, CBI ने दर्ज किया FIR
इन बैंकों का है हजारों करोड़ रुपये बकाया
भारतीय स्टेट बैंक की एक शिकायत के अनुसार, कंपनी पर बैंक का 2,925 करोड़ रुपये बकाया है। इसके अलावा ICICI बैंक का 7,089 करोड़, IDBI बैंक का 3,634 करोड़, बैंक ऑफ़ बड़ौदा का 1,614 करोड़, PNB का 1,244 और आईओबी का 1,228 करोड़ का बकाया है।
2012 से 2017 के बीच हुई है धोखाधड़ी
सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया कि अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 की अवधि के लिए मैसर्स अर्न्स्ट एंड यंग एलपी द्वारा प्रस्तुत फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट दिनांक 18.01.2019 से पता चला है कि आरोपियों ने एक साथ मिलीभगत की है और धन के दुरुपयोग, आपराधिक विश्वासघात सहित अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया है।
केंद्रीय जांच एजेंसी का कहना है कि धोखाधड़ी बैंक के धन की कीमत पर गैरकानूनी रूप से हासिल करने के उद्देश्य से धन के दुरुपयोग, हेराफेरी और आपराधिक विश्वासघात के माध्यम से हुई है फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट से पता चलता है कि धोखाधड़ी अप्रैल 2012 और जुलाई 2017 के बीच हुई है।
सीबीआई ने एफआईआर में कहा है कि वस्तुओं की मांग और कीमतों में गिरावट और बाद में कार्गो मांग में गिरावट के कारण वैश्विक संकट ने शिपिंग उद्योग को प्रभावित किया है। कुछ जहाजों/जहाजों के अनुबंधों को रद्द करने के परिणामस्वरूप इन्वेंट्री का ढेर लगा है। इसके परिणामस्वरूप कार्यशील पूंजी की कमी हुई है और परिचालन चक्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे तरलता की समस्या और वित्तीय समस्या बढ़ गई। वाणिज्यिक जहाजों की कोई मांग नहीं थी क्योंकि उद्योग 2015 में भी मंदी के दौर से गुजर रहा था। इसके अलावा, 2015 में कोई नया रक्षा आदेश जारी नहीं किया गया था। कंपनी को सीडीआर में परिकल्पित मील के पत्थर हासिल करने में बहुत मुश्किल हो रही थी। इस प्रकार, कंपनी नियत तारीख पर ब्याज और किश्तों की सेवा करने में असमर्थ थी। ABGSL ने 165 से अधिक जहाजों का निर्माण किया है।
यह भी पढ़ें: