सार

संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के भाई एजाज अहमद गुरु ने सोपोर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है। उन्होंने अपने बेटे की गिरफ्तारी को राजनीति में आने का कारण बताया और स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता देने की बात कही।

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में  विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. 22 साल पहले हुए संसद हमले के मास्टरमाइंड  अफजल गुरु के भाई एजाज अहमद गुरु (Aijaz Ahmed Guru) अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में सोपोर विधानसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतर गए हैं.  संसद हमले के मामले में दोषी ठहराए गए और फांसी की सजा पाए अफजल गुरु के भाई ने आज निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सोपोर सीट से नामांकन दाखिल किया.  अफजल गुरु को 11 साल पहले दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी. 

एजाज गुरु जम्मू-कश्मीर के पशुपालन विभाग में  सरकारी नौकरी में थे. लेकिन 2014 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद वह एक ठेकेदार के रूप में काम कर रहे हैं. मीडिया से बात करते हुए एजाज ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत के बारे में कहा कि उनके बेटे को गिरफ्तार किया जाना ही राजनीति में आने का मुख्य कारण है.  एजाज गुरु के बेटे शोएब एजाज गुरु को दिसंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर के बारामूला पुलिस ने ड्रग तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था. नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट (पीआईटी-एनडीपीएस एक्ट) के तहत उसे गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल उसे जम्मू की कोट-बलवाल जेल में रखा गया है.

 

फिलहाल एक ठेकेदार के रूप में काम कर रहे एजाज ने अपने बेटे के खिलाफ मामले को मनगढ़ंत बताया है और कहा कि उसे संदिग्ध परिस्थितियों में गिरफ्तार किया गया है. एजाज ने कहा कि वह इसी तरह के संदिग्ध मामलों में जेल में बंद कई अन्य लोगों की भी वकालत करेंगे.

एजाज ने कहा कि सोपोर  क्षेत्र के लोगों ने जिन नेताओं को चुना, उन्होंने उन्हें हमेशा नजरअंदाज किया. उन्होंने कहा कि अगर वह जीतते हैं तो रोजगार, बुनियादी ढांचे का विकास और युवाओं का पुनर्वास जैसी लंबे समय से चली आ रही स्थानीय समस्याओं को हल करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी. उन्होंने कहा कि मैं कभी भी अपने भाई के नाम पर वोट नहीं मांगूंगा, मेरी विचारधारा बिल्कुल अलग है. कश्मीर के लोग, खासकर सोपोर के लोग यहां के राजनीतिक नेताओं से निराश हैं. 

 

एजाज जिस सोपोर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, वहां से कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं. कांग्रेस ने जहां तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हाजी अब्दुल रशीद डार को मैदान में उतारा है, वहीं इरशाद कर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार हैं. जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन चरणों में मतदान होगा. 8 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी और नतीजे घोषित किए जाएंगे.