सार
इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत दुनिया के उन गिने चुने शक्तिसंपन्न देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास न्यूक्लियर हथियारों से लैस इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है।
नई दिल्ली। न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का भारत परीक्षण करने जा रहा है। इस मिसाइल का यह आठवां टेस्ट होगा। इस मिसाइल की रेंज पांच हजार किलोमीटर है। यानी चाइना के कई शहरों तक यह मिसाइल टारगेट करने की क्षमता रखती है। भारत ने इसी साल जून में अग्नि प्राइम का भी टेस्ट किया था और अग्नि-6 पर भी काम कर रहा है।
अभी तक महज सात देशों के पास ICBM
दरअसल, इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद भारत दुनिया के उन गिने चुने शक्तिसंपन्न देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास न्यूक्लियर हथियारों से लैस इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है।
फिलहाल दुनिया के सात देशों के पास ही इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) हैं। इनमें रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, इजराइल, ब्रिटेन और उत्तर कोरिया शामिल हैं। भारत का टेस्ट सफल होने के बाद वह आठवें देश के रूप में शामिल हो जाएगा।
क्या है अग्नि-5 ICBM?
अग्नि-5 भारत की पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने डिजाइन कर बनाया है। यह मिसाइल न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने की क्षमता रखता है और इसकी रेंज पांच हजार किलोमीटर है। यह मिसाइल भारत की लंबी रेंज वाले मिसाइल्स में एक है। मिसाइल मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) से लैस है। यानी एक साथ मल्टिपल टार्गेट के लिए लॉन्च की जा सकती है।
आवाज की गति से 24 गुना स्पीड से डेढ़ टन न्यूक्लियर हथियार ले जा सकेगा
यह मिसाइल डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जा सकती है। इसकी स्पीड मैक 24 है, यानी आवाज की स्पीड से 24 गुना ज्यादा तेज है।
ट्रांसपोर्टेशन में आसानी
अग्नि-5 के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस वजह से इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।
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