सार
सरकार का कहना है कि मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) को आधार कार्ड (Aadhaar Card) से जोड़कर फर्जी मतदान रोकने में मदद मिलेगी। उधर, विपक्ष का आरोप है कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला है।
नई दिल्ली। विपक्ष के विरोध और हंगामे के बीच मंगलवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) ने चुनाव सुधार से जुड़े ‘निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021’ (Election Laws (Amendment) Bill, 2021) को मंजूरी दे दी। लोकसभा में सोमवार को ही ये बिल पास हो गया था। इस बिल के पास होने से वोटर आईडी को आधार से लिंक किया जाना है, जिसका विपक्षी नेता विरोध कर रहे हैं। उधर सरकार का कहना है कि मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) को आधार कार्ड (Aadhaar Card) से जोड़कर फर्जी मतदान रोकने में मदद मिलेगी। राज्यसभा में बिल का विरोध करते हुए विपक्षियों ने कहा कि सरकार विरोधी वोटरों के नाम मतदाता सूची (Voter List) से हटाने के उद्देश्य से यह नरेंद्र मोदी की सरकार यह बिल लाई है। विपक्षी दलों के सांसदों ने इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ और मौलिक अधिकारों एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया। संसद में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआईएमआईएम, आरएसपी, बसपा जैसे दलों ने इस विधेयक का विरोध किया।
बिल में ये नए प्रावधान
1- वोटर आईडी-आधार कार्ड लिंकः इसके तहत वोटर आईडी और आधार लिंक किया जाएगा। हालांकि, इसकी अनिवार्यता नहीं है। इसकी सिफारिश पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने की थी। तर्क है कि अगर वोटर आईडी से आधार कार्ड को जोड़ दिया जाता है तो उससे चुनावों में फर्जी वोटिंग को रोका जा सकेगा, साथ ही वोटर आईडी की डुप्लीकेसी पर भी लगाम लगेगी।
2- साल में 4 बार रजिस्ट्रेशनः इस बिल में वोटर लिस्ट में साल में 4 बार नाम जुड़वाने का प्रावधान भी है। इसके पीछे तर्क है अब तक जनवरी में ही युवा अपना नाम वोटर आईडी में जुड़वा पाते हैं। इसलिए बहुत सारे युवा पूरे साल वोट देने से वंचित रह जाते हैं। इसलिए अब ऐसे युवा 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को नामांकन करवा सकेंगे।
3. जेंडर न्यूट्रल : सर्विस वोटर के लिए इसे जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है। इससे महिला कर्मचारियों के पति भी सर्विस वोटर की लिस्ट में अपना नाम जुड़वा सकेंगे। अब 'पत्नी' शब्द की जगह 'पति या पत्नी' (Spouse) लिखा जाएगा।
4. आयोग को अधिग्रहण का अधिकारः कानून बनते ही चुनाव आयोग को किसी भी संस्था या परिसर का चुनाव प्रक्रिया में इस्तेमाल करने के लिए अधिग्रहण करने का अधिकार मिल जाएगा। चुनाव आयोग वोटिंग, काउंटिंग या ईवीएम रखने या फिर अन्य दूसरे काम करने के लिए अधिग्रहित कर सकेगी।
कांग्रेस ने कहा- स्थायी समिति को भेजें
लोकसभा में सोमवार को इस बिल पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि यह पुत्तुस्वामी बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। कांग्रेस नेता ने कहा- हमारे यहां डाटा सुरक्षा कानून नहीं है और पहले भी डाटा के दुरुपयोग किए जाने के मामले सामने आए हैं। ऐसे में इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए और इसे विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए।
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