सार
अपनी तेजतर्रार कार्यशैली और बेबाकी के लिए पहचाने जाने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व सरमा ने पुलिस कस्टडी से भागने वाले कुख्यात अपराधियों के एनकाउंटर करने को जायज ठहराया है।
गुवाहाटी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व सरमा के तेवरों से अपराधियों में खौफ पैदा हो गया है। अपनी तेजतर्रार कार्यशैली और बेबाकी के लिए पहचाने जाने वाले सरमा ने दो टूक कहा है कि अगर कोई अपराधी पुलिस कस्टडी से भागता है, तो उसका एनकाउंटर होना चाहिए।
पुलिस को दी छूट
मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार पुलिस थानों के अधिकारियों से अपराधों की समीक्षा करते हुए सरमा ने कहा कि अगर अपराधी पुलिस की कस्टडी से भागता है, तो एनकाउंटर पैटर्न होना चाहिए। उनका आशय ऐसे अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराने से था। सरमा ने कहा-कोई अगर पुलिस का हथियार लेकर भागना चाहता है जो पहले बलात्कारी भी है, पुलिस को उसकी छाती पर गोली मारने की ज़रूरत नही है, लेकिन उसके पैरों पर गोली मार सकते हैं। यह तो क़ानून भी कहता है तो उसमें असम पुलिस को डरने की ज़रूरत नही है।
आज मुझे किसी ने कहा कि पिछले कई दिनों से पुलिस कस्टडी से अपराधी भाग गया, फिर उसको गोली मारी गई, यह पैटर्न हो गया है क्या। मैंने कहा कि यही तो पैटर्न होना चाहिए।
महिलाओं के खिलाफ अपराधों में सख्ती बरतें
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में जीरो टॉलरेंस दिखाएं। सरमा हत्या, बलात्कार, ड्रग्स, उगाही और अवैध हथियारों से जुड़े अपराधों को लेकर बेहद सख्त दिखे। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी लंबित मामलों में 6 महीने के अंदर आरोप पत्र दाखिल हो जाना चाहिए। अगर किसी सहायता या मार्गदर्शन की जरूरत है, तो वरिष्ठ अधिकारियों, रेंज के डीआईजी से बात करें।
मई में 12 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए
सरमा ने मीटिंग के बाद मीडिया से कहा कि पुलिस के पास शूटआउट का कोई अधिकार नहीं है। कानून के जरिये अपराधियों का मुकाबला होना चाहिए। लेकिन जब कोई चारा नहीं बचता, तब शूटआउट होता है। PTI की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में मई में 12 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए हैं। इनमें से ज्यादातर पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, पशु तस्करों को भी गोली मारकर घायल करना पड़ा।
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