सार
बांबे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच ने एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि एक नाबालिग लड़की के स्तनों को उसके कपड़ों के ऊपर से टटोलने पर पोक्सो की धारा 8 के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध नहीं होगा।
नई दिल्ली। बांबे हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक विवादास्पद फैसले को बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई इन दिनों चल रही है। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बांबे हाईकोर्ट के उस फैसले को पलटने की अपील की है जिसमें कोर्ट ने कहा कि आरोपी और बच्ची के बीच सीधा स्किन टू स्किन संपर्क नहीं होने पर पॉक्सो के तहत सेक्सुअल हैरेसमेंट का केस नहीं बनता। कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 14 सितंबर का करेगा।
अटार्नी जनरल ने यह दिया तर्क
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी के बेंच के सामने पेश हुए अटार्नी जनरल ने इस फैसले को एक खतरनाक और अपमानजनक मिसाल बताया। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि फैसले का मतलब यह होगा कि एक व्यक्ति जो सर्जिकल दस्ताने पहनकर एक बच्चे का यौन शोषण करता है, उसे बरी कर दिया जाएगा।
यह था मामला
बांबे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच ने एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि एक नाबालिग लड़की के स्तनों को उसके कपड़ों के ऊपर से टटोलने पर पोक्सो की धारा 8 के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध नहीं होगा। कोर्ट ने कहा था कि धारा 8 पोक्सो के तहत अपराध को आकर्षित करने के लिए त्वचा से त्वचा संपर्क होना चाहिए। उच्च न्यायालय ने माना कि विचाराधीन कृत्य केवल धारा 354 आईपीसी के तहत छेड़छाड़ के एक कमतर अपराध के समान होगी। हालांकि, केंद्र सरकार की अपील पर इस फैसले के संचालन पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
कोर्ट ने मंगलवार को कहा
पीठ ने कहा कि नोटिस के बावजूद आरोपी के लिए कोई प्रतिनिधित्व पेश नहीं हुआ। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी से कहा कि अभियुक्तों के लिए एडवोकेट-आन-रिकॉर्ड के साथ दो वरिष्ठ अधिवक्ता उपलब्ध करवाए। मामलों की अंतिम सुनवाई 14 सितंबर को होगी।
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