सार
बद्रीनाथ थाम (Badrinath Dham) के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। रोज 15 हजार भक्त भगवान के दर्शन करेंगे। अगले छह महीने तक श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर पाएंगे।
चमोली। बद्रीनाथ थाम (Badrinath Dham) के कपाट रविवार सुबह 6:15 बजे आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मंदिर के गेट खोले गए। इस अवसर के लिए मंदिर को करीब 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। अगले 45 दिन तक रोज करीब 15 हजार भक्त भगवान के दर्शन करेंगे।
अगले छह महीने तक श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर पाएंगे। कोरोना महामारी के चलते बद्रीनाथ धाम के गेट लगभग दो साल से आम भक्तों के लिए बंद थे। कपाट खुलने के दिन दर्शन करने के लिए यहां पूरे देश से हजारों श्रद्धालु पहुंचे हैं। इससे पहले 6 मई को मंदिर का गेट खुला था।
भगवान विष्णु को समर्पित है मंदिर
अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड के चमोली जिले में गढ़वाल पहाड़ी ट्रैक पर स्थित बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर चार प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है, जिसे 'चार धाम' कहा जाता है। इसमें यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ भी शामिल हैं। यह उत्तराखंड के बद्रीनाथ शहर में स्थित है। यह हर साल छह महीने (अप्रैल के अंत और नवंबर की शुरुआत के बीच) के लिए खुला रहता है।
3 मई को शुरू हुई चारधाम यात्रा
केदारनाथ मंदिर के कपाट शुक्रवार सुबह श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे। वार्षिक चारधाम यात्रा 3 मई को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई। इस महीने की शुरुआत में राज्य सरकार ने चार धामों में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या को सीमित कर दिया था।
यह भी पढ़ें- पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से मिली तजिंदर बग्गा को राहत, मोहाली कोर्ट के अरेस्ट वारंट पर 10 मई तक लगाई रोक
बद्रीनाथ में प्रतिदिन कुल 15,000, केदारनाथ में 12,000, गंगोत्री में 7,000 और यमुनोत्री में 4,000 तीर्थयात्रियों को अनुमति दी जाएगी। यह व्यवस्था 45 दिनों के लिए की गई है। इस वर्ष तीर्थयात्रियों के लिए निगेटिव COVID-19 टेस्ट रिपोर्ट या टीकाकरण प्रमाण पत्र ले जाना अनिवार्य नहीं है। चार धामों में हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं।
यह भी पढ़ें- राहुल गांधी का हैदराबाद में यह कैसा दौरा, जाना चाहते थे यूनिवर्सिटी कैम्पस, लेकिन पहुंचे जेल, ये है वजह