सार

केंद्र सरकार जीआई-टैग वाले कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने पर ध्यान दे रहा है। भारत के जीआई-टैग वाले उत्पादों के लिये यूके, दक्षिण कोरिया और बहरीन में नये बाजार हैं। जियॉग्राफिकल इंडीकेशंस(Geographical Indications-GI टैग) वाले स्थानीय स्तर पर मौजूद कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के क्रम में केंद्र नये उत्पादों तथा नये निर्यात गंतव्यों की पहचान करने के प्रयासों में लगा है।
 

नई दिल्ली. जियॉग्राफिकल इंडीकेशंस(जीआई टैग) वाले स्थानीय स्तर पर मौजूद कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के क्रम में केंद्र नये उत्पादों तथा नये निर्यात गंतव्यों की पहचान करने के प्रयासों में लगा है। दार्जलिंग चाय और बासमती चावल, भारत के दो लोकप्रिय जीआई-टैग कृषि उत्पाद हैं, जिनकी पहुंच विश्वभर के बाजारों तक है। हालांकि, देश के विभिन्न स्थानों के जीआई-टैग उत्पादों की भरमार है तथा उनके ग्राहक भी मौजूद हैं, लेकिन ज्यादा से ज्यादा विक्रेताओं तक पहुंच बनाने के लिये जरूरी है कि उन उत्पादों को बेहतर तरीके से बाजार में उतारा जाए।

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Vocal for Local and aatm nirbhar bharat: गुड़ आदि की भी डिमांड
प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान के अनुरूप केंद्र, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (अपेडा) के जरिये काला नमक चावल, नगा मिर्च, असम काजी नेमू, बेंगलुरु लाल प्याज, नागपुरी संतरा, जीआई किस्म के आम, जीआई-टैग वाली शाही लीची, भलिया गेहूं, मदुरै मल्ली, बर्धमान मिहीदाना और सीताभोग, धनऊ गोलवाड सपोता, जलगांव केला, वजाकुलुम अनन्नास, मारायूर गुड़, आदि जैसे उत्पादों को दुनिया भर के नये बाजारों में भेज रहा है। इसे फिलहाल परीक्षण के तौर पर भेजा जा रहा है।

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इन देशों में भारी डिमांड
वर्ष 2021 में जीआई-टैग वाले प्रमुख उत्पादों को जहाज से भेजा गया, जिनमें नगालैंड की नगा मिर्च को यूके, मणिपुर और असम के काले चावल को यूके, असमी नीब को यूके और इटली, जीआई-टैग वाले पश्चिम बंगाल के आमों की तीन किस्मों (फज़ली, खिरसापति और लक्ष्मणभोग) को यूके तथा बिहार के एक जीआई आम (ज़र्दालू) को बाहरीन और कतर निर्यात किया गया। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले से जयनगरेर मोया नामक मिठाई को नमूने के तौर पर कोलकाता एयरपोर्ट से बहरीन रवाना किया गया। नमूना भेजने के बाद बहरीन से जयनगरेर मोया के और आर्डर मिलने लगे।

बिहार से जीआई-टैग वाले उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जीआई-टैग वाली 524 किलोग्राम शाही लीची का पहला शिपमेन्ट मई 2021 में बिहार के मुजफ्फरनगर से लंदन रवाना किया गया। इसी वर्ष आंध्रप्रदेश के जीआई-टैग वाले बंगानपल्ली आम को दक्षिण कोरिया भेजा गया।

सरकार ने वाराणसी में निर्यात केंद्र बनाने, खास तौर पर जीआई-टैग वाले कृषि उत्पादों के लिए, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), खाद्य उत्पाद कंपनियों और निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक समुदायों से जोड़ने पर बहुत जोर दिया है।

निर्यात सुविधाओं पर जोर
जीआई-टैग वाले उत्पादों के प्रोत्साहन को सुनिश्चित करने के लिये, वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय विमान पत्तन के प्रस्थान परिसर में एक मुख्य स्थान की पहचान की गई है। जून 2021 में मौसम के पहले शिपमेन्ट के तहत जीआई-टैग वाले 1048 किलोग्राम मलीहाबादी आम को लखनऊ से यूके तथा संयुक्त अरब अमीरात निर्यात किया गया।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र, जैसे मणिपुर के काले चावल, मणिपुर के कचाई नीबू, मीजो मिर्च, अरुणाचली संतरे, मेघालय की खासी मैनडरिन, असमी काजी नेमू, करबी आंगलोंग अदरक, जोहा चावल और त्रिपुरा के अनन्नास जैसे अनोखे जीआई-टैग वाले उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिये, केंद्र अपेडा के जरिये विक्रेता-क्रेता बैठकों का आयोजन करता रहा है। साथ ही उत्तर पूर्वी राज्यों, एफपीओ/एफपीसी, निर्यातकों, संघों और भारतीय रेल, एएआसीएलएएस, नाफेड, डीजीएफटी, आईआईएफपीटी जैसे सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों के सहयोग से क्षमता निर्माण कार्यशालाओं का भी आयोजन केंद्र करता रहा है।

अन्य क्षेत्रों के जीआई-टैग वाले उत्पादों में सांगली किशमिश, नागपुरी संतरा, धनाऊ गोलवाड चीकू, मराठावाड़ केसर आम, जलगांव का केला (सभी महाराष्ट्र), ओडिशा की कंधामल हल्दी, कर्नाटक की बेंगलुरू लाल प्याज, इलाहाबादी सुर्ख अमरूद, काला नमक चावल (सभी उत्तरप्रदेश), तमिलनाडु की मदुरै मल्ली के मोतिया फूल आदि शामिल हैं।

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वर्ष 2020 में वर्चुअल विक्रेता-क्रेता बैठकों का आयोजन संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका के साथ हुआ। ये दोनों एपेडा में दर्ज उत्पादों के सबसे बड़े निर्यात बाजार हैं। ये बैठकें अबू धाबी और वॉशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावासों के सहयोग से हुईं।

जीआई उत्पादों पर बैठक ने भारतीय निर्यातकों तथा अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के आयातकों के बीच बातचीत का मंच उपलब्ध कराया। निर्यातकों को जीआई उत्पादकों की क्षमता के बारे में बताया गया, जिनमें बासमती चावल, आम, अनार, बेगलुरू लाल प्याज, सांगली अंगूर/किशमिश, केला और पूर्वोत्तर क्षेत्र के उत्पाद, जैसे असम का जोहा चावल, काला चावल, नगा मिर्च, आदि शामिल थीं। इनके प्रसंस्कृत उत्पादों की भी जानकारी दी गई। अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनीशिया, कुवैत, ईरान, ताईलैंड, भूटान, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, सउदी अरब, उजबेकिस्तान आदि जैसे बड़े आयातक देशों के साथ बैठकें की गईं, जिनके दौरान अपेडा में दर्ज उत्पादों को प्रोत्साहन दिया गया। जीआई-टैग वाले उत्पादों के निर्यात पर विशेष ध्यान दिया गया।

अपेडा ने बहरीन के अल-जज़ीरा ग्रुप और दोहा, कतर के फैमिली फूट सेंटर जैसे विदेशी खुदरा स्टोरों के सहयोग से जीआई-टैग उत्पादों को प्रोत्साहन देने की व्यवस्था की। इन उत्पादों को उपरोक्त कंपनियों के खुदरा स्टोरों में रखा गया। कर्नाटक के जीआई-टैग ननजानगुड़ केले को नमूने के तौर पर संयुक्त अरब अमीरात के लू-लू ग्रुप को भेजा गया। इस कदम से भी निर्यात को बढ़ावा मिला।

150 जीआई टैग वाले प्रॉडक्ट्स
अब तक 417 जीआई उत्पाद पंजीकृत हैं, जिनमें से लगभग 150 जीआई-टैग वाले उत्पाद कृषि और खाद्य उत्पाद हैं। इनमें से 100 से अधिक पंजीकृत जीआई उत्पाद जैसे खाद्यान्न, ताजे फल और सब्जियां, प्रसंस्कृत उत्पाद आदि अपेडा की अनुसूची में दर्ज हैं।

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