अखिलेश मिश्रा ने कहा कि अनुच्छेद 370 मामले में मुख्य याचिकाकर्ता खुले तौर पर पाकिस्तान समर्थक, भारत से नफरत करने वाले मोहम्मद अकबर लोन है।

BlueKraft डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ और बीजेपी समर्थक अखिलेश मिश्रा ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर लोन के वकील कपिल सिब्बल को लेकर बड़ा आरोप लगाया है। अखिलेश मिश्रा ने आरोप लगाया है कि मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर लोन पाकिस्तान समर्थक है और भारत से नफरत करता है। देश की खिलाफत करने वाले का केस कपिल सिब्बल लड़ रहे हैं। कपिल सिब्बल, यूपीए सरकार में दो बार मंत्री रहे हैं और इंडिया गठबंधन के खास हैं।

कपिल सिब्बल पर क्या लगाया आरोप?

अखिलेश मिश्रा ने कहा कि अनुच्छेद 370 मामले में मुख्य याचिकाकर्ता खुले तौर पर पाकिस्तान समर्थक, भारत से नफरत करने वाले मोहम्मद अकबर लोन है। लोन के वकील कपिल सिब्बल हैं। लोन की ओर से कपिल सिब्बल, कश्मीर में भारतीय संविधान के पूर्ण कार्यान्वयन को रोकने के लिए बहस कर रहे हैं। लोन खुले तौर पर कहता है कि वह भारत से अधिक पाकिस्तान के करीब है। सिब्बल ने कहा कि लोन ने लगभग हर अवसर पर इस बात पर जोर दिया है कि वह भारत से ज्यादा पाकिस्तान से प्यार करते हैं।

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पाकिस्तान परस्त एजेंडा कश्मीर में चलाने का आरोप

ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के सीईओ अखिलेश मिश्रा ने आरोप लगाया कि मोहम्मद अकबर लोन पाकिस्तान परस्त एजेंडा जम्मू-कश्मीर में चला रहे हैं। लोन, 2002-2018 तक नेशनल कांफ्रेंस से विधायक और 2019 से लोकसभा सांसद रहे हैं। लोन ने लगभग हर अवसर पर इस बात पर जोर दिया है कि वह भारत से ज्यादा पाकिस्तान से प्यार करते हैं। आरोप लगाया कि लोन ने खुद को कभी भारतीय नहीं माना है। मिश्रा ने आरोप लगाया कि लोन ने लोकसभा चुनाव में आतंकवादियों से मदद मांगी थी। उसने पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए थे और कपिल सिब्बल उस व्यक्ति के वकील हैं।

उन्होंने कहा कि लोन के वकील कपिल सिब्बल, कांग्रेस और सोनिया गांधी के चहेते हैं। यूपीए सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं। कपिल सिब्बल ऐसे तत्वों को आशीर्वाद देने के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। पहले कांग्रेस में थे और अब I.N.D.I.A में हैं। उन्होंने कहा कि लोन को सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई ने भारतीय होने का हलफनामा दायर करने को कहा था। उन्होंने पूछा कि क्या सिब्बल इस पर शर्मिंदगी जाहिर करेंगे। क्या यह शर्म की बात भी नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पहले हलफनामा दायर करने के लिए कहा कि उनका मुवक्किल भारत में विश्वास करता है।

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