सार

दिल्ली विधानसभा का सत्र नहीं होने पर लोगों को इन स्थानों पर जाने की अनुमति होगी। यहां, हम सभी देख सकते हैं कि कैसे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।

नई दिल्ली। स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देने के लिए अंग्रेजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फांसी घर को इतिहास प्रेमियों के लिए खोल दिया गया है। दिल्ली विधानसभा परिसर में ब्रिटिश-युग के इस रेनोवेटेड 'फांसी घर' से स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों के बारे में अधिक जानने का मौका मिलेगा। इस फांसी घर की संरचना दो मंजिला है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को 'कोरोना वारियर्स मेमोरियल' के साथ रेनोवेटेड 'फांसी घर' का उद्घाटन किया। 

कैदियों को जिससे फांसी दी गई वह रस्सी मौजूद

एक्सीक्यूसन रूम, असेंबली हॉल के बाईं ओर मुख्य भवन में स्थित है। विजिटर्स, कुछ कैदियों के सामान भी देख सकते हैं जिन्हें वहां मार दिया गया था। वह रस्सी भी देखी जा सकती है जिससे उनको फांसी हुई थी। रूम के अगले हिस्से को छोटी ईंटों और लोहे के गेट वाली जेल का रूप दिया गया है। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की मूर्तियां भी हैं। इसमें दो लिफ्ट ऑपरेटेड फंदे हैं जिनका इस्तेमाल कैदियों को फांसी देने के लिए किया जाता था।

टॉप फ्लोर पर गैलरी

ऊपरी मंजिल पर एक छोटी सी गैलरी है जहां स्वतंत्रता सेनानियों अशफाकउल्लाह खान, हेमू कलानी, करतार सिंह सराभा, दिनेश गुप्ता, खुदीराम बोस, गुलाब सिंह सैनी और उमाजी नाइक सहित अन्य लोगों की तस्वीरें प्रदर्शित हैं।

सेनानियों के बलिदान की कहानी कहता है फांसीघर

उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान लाल किले में कैद स्वतंत्रता सेनानियों को परीक्षण और execution के लिए 'फांसी घर' लाया गया था। उन्होंने कहा कि 'फांसी घर', जो शुरू में बंद था, 2018 में मिला था। गोयल ने कहा कि यह एक दो मंजिला कमरा था, लेकिन ऊपरी मंजिल तक पहुंचा नहीं जा सकता था और एक दीवार से बंद था। जब हमने दीवार तोड़ी, तो हमने पाया कि यह एक एक्सीक्यूसन कक्ष था जिसमें दो फंदे थे। उन्होंने कहा कि इस कक्ष को बहाल करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि हमने बहाली प्रक्रिया के दौरान 'फांसी घर' में किसी भी चीज के साथ छेड़छाड़ नहीं किया। यहां, हम सभी देख सकते हैं कि कैसे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।

विधानसभा सत्र नहीं होने पर लोग देखने जा सकेंगे

लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने पिछले साल सितंबर में नवीनीकरण का काम शुरू किया था। गोयल ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस से पहले 'फांसी घर' और 'कोरोना योद्धा स्मारक' खोलने का लक्ष्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा का सत्र नहीं होने पर लोगों को इन स्थानों पर जाने की अनुमति होगी।

महामारी के दौरान समाज के प्रति उनके बलिदान और उल्लेखनीय कार्यों के लिए डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारियों और शिक्षकों सहित कोविड योद्धाओं को सम्मानित करने के लिए 'कोरोना युद्ध स्मारक' बनाया गया है। स्मारक में 31 कोविड योद्धाओं के नाम हैं, जिन्होंने महामारी के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया, जो एक पत्थर की पटिया पर अंकित है। इसके ऊपर एक डॉक्टर, एक नर्स, एक सुरक्षा अधिकारी और एक सफाई कर्मचारी को दर्शाती एक मूर्ति है। यह प्रवेश द्वार के पास विधानसभा परिसर में विट्ठल भाई पटेल की प्रतिमा के पीछे स्थित है।

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