सार
भारत की हेल्थ इंडस्ट्री को एक बड़े बदलाव की जरुरत है। आगामी बजट में इस सेक्टर को सरकार से सबसे ज्यादा उम्मीद है। हेल्थ सेक्टर को एक विस्तृत डेवलपमेंट प्रोग्राम की जरुरत है। प्राइवेट-पब्लिक सेक्टर की विकास में सहभागिता की जरुरत है।
भारत की हेल्थ इंडस्ट्री को एक बड़े बदलाव की जरुरत है। आगामी बजट में इस सेक्टर को सरकार से सबसे ज्यादा उम्मीद है। हेल्थ सेक्टर को एक विस्तृत डेवलपमेंट प्रोग्राम की जरुरत है। इस सेक्टर में निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने, मेडिकल एजुकेशन के लिए बुनियादी ढांचागत विकास, कम लागत पर आर्थिक सपोर्ट, हेल्थ सर्विस में डिजिटलीकरण का बढ़ावा देने और इस सेक्टर के लिए यूनिवर्सल रोडमैप जिससे सही समय पर इलाज मिल सके और प्राइवेट-पब्लिक सेक्टर की इस सेक्टर के विकास में सहभागिता की जरुरत है।
2022-23 में हेल्थ सेक्टर का बजट?
साल 2022-23 में भारत सरकार ने करीबन 86,200 करोड़ का बजट जारी किया था। यह पिछले बजट के मुकाबले 16.5 प्रतिशत ज्यादा था। यह सेक्टर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आता है। अब भारत को एक लॉन्ग टर्म विजन की जरूरत है। जिससे एक हेल्थकेयर वर्कर्स की फोर्स और कम खर्चे में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया की जा सकी। सेक्टर की जरूरत के हिसाब से इस बार के बजट में हेल्थ सेक्टर का बजट आगामी पांच सालों के लिए मौजूदा बजट से 30 से 35 प्रतिशत बढ़ाए जाने की उम्मीद देश की जनता कर रही है।
हेल्थ सेक्टर की सरकार से उम्मीदें
भारत के हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में असल में मिडिल क्लास गायब रहता है। यहां एक विस्तृत इंश्योरेंस मॉडल की जरुरत है। भारत की अधिकतर जनसंख्या इससे वंचित है। 2011 में नीति आयोग की एक रिपोर्ट जारी हुई थी। इस रिपोर्ट का विषय था-भारत के लापता मध्यम वर्ग का बीमा (Health Insurance of India’s Missing Middle)। इसमें बताया था कि करीबन 40 करोड़ लोग इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत सुरक्षित नहीं है। हालांकि, सरकार ने 2022 में बड़ा कदम उठाते हुए AB-PMJAY यानी प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की। इसके तहत सीनियर सिटीजन का हेल्थ इंश्योरेंस करना है। लेकिन इसके बाद भी आज एक बड़े हेल्थ कवरेज प्रोग्राम की जरुरत है।
हेल्थ केयर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड को सुनिश्चित करना
इस सेक्टर में पिछले कुछ वक्त में स्टार्टअप भी हुए हैं। ऐसे में सरकार ने माइक्रो, स्मॉल- मीडियम एंटरप्राइजेज और मेडिकल डिवाइस पार्क के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए फंड और योजनाएं स्थापित की है। हालांकि कुछ सालों में प्राइवेट सेक्टर में नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं लेकिन अभी भी प्राइवेट सेक्टर को इसके लिए सीमित कर दिया गया है। हालांकि जरूरत है कि केंद्र और राज्य सरकारों को हेल्थ केयर के लिए कम लागत पूंजी के तहत सपोर्ट करना होगा। इसमें सभी का पीपीपी प्रोजेक्ट में शामिल होना जरूरी है। सरकार को गैप फंडिंग, हेल्थ इक्यूपमेंट के लिए सब्सिडी और रियाती दर में हॉस्पिटल क्लिनिक के लिए भूमि प्रदान करने जैसे कदम उठाने होंगे। सरकार एक हेल्थ केयर फंड भी बना सकती है।
स्वास्थ्य सेवा कौशल और विकास के लिए टैक्स में छूट
सरकार को हेल्थ सेक्टर में हेल्थकेयर्स की स्किलिंग के लिए और उसके विकास के लिए टैक्स में छूट का प्रावधान करना जरूरी है। इनकम टैक्स एक्ट 2013 - सेक्शन 35ccd के तहत इन छूटों को देने के बारे में सरकार को सोचना होगा। फिलहाल इस कानून के तहत बिजनेस इनकम कैल्कुलेशन में निर्माण कर रही कंपनी को ट्रेनिंग के लिए दी गई भूमि या भवन पर 150 प्रतिशत की कटौती की अनुमति है। कर्मचारियों को भी 6 महीने की ट्रेनिंग अनिवार्य कर देना चाहिए। इसके बाद उन्हें फुल टाइम रोजगार देने की व्यवस्था करना होगी। इस तरह की लाभदायक सुविधा बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सरकार को इस कानून को और लचीला करना होगा।
प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप पर टैक्स में छूट
सरकार को निवारक या प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप पर टैक्स की छूट देना चाहिए । सरकार को 2023 बजट में एक परिवार को हेल्थ चेकअप की कटौती को कम करते हुए 5000 से 15 हजार रुपए तक कर देना चाहिए, इससे नागरिकों को लाभ पहुंच सके।
डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना
सरकार को हेल्थ सेक्टर के डिजिटलीकरण पर ध्यान देने की जरूरत है। जिससे सभी काम तकनीक की वजह से सुचारु रूप से जल्दी और पूर्ण हो जाए। इसमें सरकार को इकॉसिस्टम तैयार करने की जरूरत है। इसमें टेलीमेडिसिन, वर्चुअल केयर सॉल्युशन, रेफरेल मैनेजमेंट सिस्टम, पर्सनल हेल्थ रिकॉर्ड या इल्केट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड को बढ़ावा मिल सके। कोरोना महामारी के बाद से इस तरह की स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की मांग की जा रही है। इससे एक बेहतर और वर्ल्डक्लास मेडिकल हेल्थ केयर सेक्टर खड़ा हो सके।